सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार: बिना अपील का मौका दिए घर गिराना गलत!
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⚖️ सुप्रीम कोर्ट की सख्ती: 24 घंटे में घर गिराना अवैध करार!
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश प्रशासन को फटकार लगाते हुए बिना उचित प्रक्रिया के घर गिराने को गलत बताया है। शीर्ष अदालत ने प्रयागराज के याचिकाकर्ताओं को उनके खर्चे पर पुनर्निर्माण की सशर्त अनुमति देने की बात कही।
🔴 क्या था मामला?
📌 6 मार्च 2021 को याचिकाकर्ताओं को नोटिस मिला, और 7 मार्च को उनके घर गिरा दिए गए।
📌 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
📌 राज्य सरकार ने उनके घरों को गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद से जोड़ दिया, जबकि याचिकाकर्ताओं ने इसे गलत बताया।
🛑 सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणियां:
⚖️ “बिना अपील का मौका दिए घर गिराना सरासर गलत है।”
⚖️ “न्यायपालिका नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए है, न कि तानाशाही के लिए।”
⚖️ “राज्य सरकार को जवाब देना होगा कि क्यों इतनी जल्दबाजी में विध्वंस किया गया?”
🏠 पुनर्निर्माण की अनुमति लेकिन शर्तों के साथ!
✔️ याचिकाकर्ता शपथ पत्र देंगे कि वे इस जमीन पर कोई दावा नहीं करेंगे।
✔️ अगर उनकी अपील खारिज होती है, तो वे अपने खर्चे पर फिर से घर गिराने को बाध्य होंगे।
✔️ उनका पुनर्निर्माण किसी तीसरे पक्ष के हितों को प्रभावित नहीं करेगा।
🚨 आगे क्या?
📌 सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राज्य सरकार पर दबाव बढ़ गया है।
📌 अगर सरकार बिना उचित प्रक्रिया के विध्वंस करती है, तो इसे न्यायिक समीक्षा का सामना करना पड़ेगा।
📌 यह फैसला भविष्य में “बुलडोजर न्याय” पर कानूनी बहस को और तेज कर सकता है।
❓ आपकी राय क्या है?
👉 क्या उत्तर प्रदेश सरकार को बिना अपील का मौका दिए विध्वंस करना चाहिए था?
👉 क्या यह फैसला सरकार की मनमानी पर लगाम लगाने में मदद करेगा?
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