डायट में तीर और लोटा लेकर पहुंचे शिक्षक, अधिकारियों ने वापस भेजा
📍 स्थान: फरेंदा, महराजगंज
📅 तारीख: 20 मार्च 2025
उत्तर प्रदेश के जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में बुधवार को उस वक्त अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई, जब एक शिक्षक अपने पिता के निधन के बाद तीर और लोटा लेकर प्रशिक्षण में शामिल होने पहुंचे।
🎯 क्या है पूरा मामला?
फरेंदा ब्लॉक के कंपोजिट विद्यालय निरनाम पश्चिमी में कार्यरत शिक्षक रामजी विश्वकर्मा के पिता का बीते शनिवार को निधन हो गया था। परंपरा के अनुसार, किसी परिजन की मृत्यु के बाद पुत्र को 16 दिनों तक शुद्धिकरण प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिसमें तीर और लोटे का उपयोग होता है।
लेकिन, शिक्षक रामजी विश्वकर्मा को अवकाश न मिलने के कारण वह इसी स्थिति में प्रशिक्षण में शामिल होने डायट पहुंच गए। उनकी इस स्थिति को देखकर वहां मौजूद लोग हैरान रह गए।
⛔ क्यों नहीं मिला अवकाश?
🔹 क्रिटिकल लीव (जो 14 दिन की होती है) का वे पहले ही उपयोग कर चुके थे।
🔹 मेडिकल लीव भी नहीं मिल सकी, क्योंकि वे पूरी तरह स्वस्थ थे।
🔹 उच्च अधिकारियों ने प्रशिक्षण में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के निर्देश दिए थे।
📌 अधिकारी हुए सख्त, घर भेजा वापस
डायट के अधिकारियों ने जब शिक्षक को तीर और लोटे के साथ देखा, तो उन्हें प्रशिक्षण में शामिल होने से रोक दिया और घर वापस भेज दिया।
📢 डायट प्राचार्य सतेंद्र कुमार ने बताया कि, “शिक्षक के आने की सूचना मिली थी, लेकिन उन्हें प्रशिक्षण में शामिल नहीं किया गया। मामले की जांच की जा रही है।”
📢 जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ऋद्धि पांडेय ने कहा कि, “इस मामले में फरेंदा के खंड शिक्षा अधिकारी से रिपोर्ट मांगी गई है।”
🧐 सवाल उठ रहे हैं…
❓ क्या संवेदनशील मामलों में शिक्षकों को अवकाश देने की प्रक्रिया लचीली नहीं होनी चाहिए?
❓ क्या नियमों में सुधार कर ऐसे मामलों के लिए विशेष प्रावधान जोड़े जाने चाहिए?
❓ क्या शिक्षकों को सिर्फ तकनीकी कारणों से अवकाश से वंचित करना उचित है?

⚖️ अब आगे क्या?
➡️ शिक्षा विभाग पूरे मामले की जांच करेगा और रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
➡️ शिक्षकों की अवकाश नीति पर पुनर्विचार करने की मांग उठ सकती है।
➡️ यदि जरूरत पड़ी, तो इस मामले में उच्च स्तर पर हस्तक्षेप किया जा सकता है।
👉 आप इस मामले पर क्या सोचते हैं? हमें कमेंट में बताएं!