हाईकोर्ट का फैसला: छूने या कपड़े उतारने की कोशिश दुष्कर्म का प्रयास नहीं
📌 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि किसी पीड़िता को छूने या उसके कपड़े उतारने की कोशिश की जाती है, तो इसे दुष्कर्म का प्रयास नहीं माना जा सकता।
इस फैसले के साथ न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने कासगंज के आरोपियों के खिलाफ ट्रायल कोर्ट से जारी सम्मन को रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि यौन हमले की धाराओं के तहत पुनः आदेश जारी किया जाए।
⚖️ क्या है मामला?
✅ घटना: 10 नवंबर 2021, कासगंज (पटियाली थाना क्षेत्र)
✅ शिकायत दर्ज: 12 जनवरी 2022, ट्रायल कोर्ट में
✅ शिकायतकर्ता: पीड़िता की मां
✅ आरोपी: पवन, आकाश, अशोक
➡️ घटना का विवरण:
- पीड़िता की मां अपनी 14 वर्षीय बेटी के साथ देवरानी के घर गई थी।
- लौटते समय गांव के पवन, आकाश और अशोक मिले, जिन्होंने बेटी को घर छोड़ने के लिए बाइक पर बैठाने की बात कही।
- रास्ते में आरोपियों ने लड़की को पकड़ लिया, उसके कपड़े उतारने की कोशिश की और पुलिया के नीचे खींचने लगे।
- लड़की की चीख-पुकार सुनकर मौके पर पहुंचे ग्रामीणों को आरोपियों ने तमंचा दिखाकर धमकाया और फरार हो गए।
- बाद में मां ने शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने केस नहीं लिखा।
- मजबूर होकर मां ने ट्रायल कोर्ट में अर्जी दी, जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया गया।
⚖️ हाईकोर्ट ने क्यों रद्द किया सम्मन?
- आरोपियों के वकील ने तर्क दिया कि “दुष्कर्म के प्रयास” की धारा लगाने का कोई आधार नहीं है।
- ट्रायल कोर्ट ने बिना सही ढंग से जांचे सम्मन जारी कर दिया और न्यायिक विवेक का उचित प्रयोग नहीं किया।
- हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि “छूने या कपड़े उतारने की कोशिश को दुष्कर्म का प्रयास नहीं कहा जा सकता।”
- कोर्ट ने निर्देश दिया कि यौन हमले की अन्य धाराओं के तहत पुनः आदेश पारित किया जाए।
🧐 इस फैसले पर आपकी राय?
❓ क्या यह फैसला सही है?
❓ क्या “छूने या कपड़े उतारने की कोशिश” को कड़ी सजा मिलनी चाहिए?
❓ क्या भारत में यौन अपराध कानूनों में बदलाव की जरूरत है?
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