चुनाव आयोग करेगा मतदान डेटा सार्वजनिक? सुप्रीम कोर्ट में हुई अहम सुनवाई 🗳️

चुनाव आयोग करेगा मतदान डेटा सार्वजनिक? सुप्रीम कोर्ट में हुई अहम सुनवाई 🗳️

नई दिल्ली, 19 मार्च 2025 – चुनाव आयोग (ECI) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वह मतदान के बूथ-वार डाटा (फॉर्म 17C) को अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध कराने पर विचार करने को तैयार है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में गंभीर चर्चा हुई, जिसमें मतदान डेटा की पारदर्शिता और संभावित चुनौतियों पर बहस हुई।


📊 फॉर्म 17C: क्या है और क्यों हो रही है बहस?

फॉर्म 17C हर पोलिंग बूथ पर डाले गए वोटों का आधिकारिक रिकॉर्ड होता है। इसे सार्वजनिक करने की मांग कई गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) द्वारा सुप्रीम कोर्ट में की गई थी।

🔹 याचिकाकर्ताओं की दलील:
गैर-सरकारी संगठनों एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और कॉमन कॉज ने याचिका दायर कर कहा कि EVM में दर्ज वोट और वास्तविक मतदान के बीच विसंगतियां हैं।

🔹 चुनाव आयोग का पक्ष:
चुनाव आयोग ने पहले मई 2024 में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि फॉर्म 17C सार्वजनिक करने से अफवाहें फैल सकती हैं और मतदान प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो सकते हैं।

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⚖️ सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई: क्या हुआ?

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने चुनाव आयोग के रुख पर संज्ञान लिया।

✔️ चुनाव आयोग ने कहा:
“नए मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) कार्यभार संभाल चुके हैं और याचिकाकर्ता उनसे अपनी मांग पर चर्चा कर सकते हैं।”

✔️ सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया:
याचिकाकर्ताओं को 10 दिनों के भीतर चुनाव आयोग से संपर्क करने को कहा गया, ताकि इस मुद्दे पर विस्तृत विचार-विमर्श किया जा सके।

✔️ प्रशांत भूषण का तर्क:
“क्या नागरिकों को मतदान के बुनियादी आंकड़ों को जानने का अधिकार नहीं है?” उन्होंने यह भी कहा कि EVM गणना और वास्तविक मतदान में अंतर की जांच होनी चाहिए।

✔️ अभिषेक मनु सिंघवी का तर्क:
“चुनाव आयोग को आखिरी मतगणना डेटा में विसंगतियों पर स्पष्ट स्पष्टीकरण देना चाहिए।”


🚨 चुनाव आयोग की चिंताएँ: क्यों नहीं चाहता था डेटा सार्वजनिक करना?

🛑 अफवाहों का खतरा – चुनाव आयोग ने पहले कहा था कि डेटा की गलत व्याख्या कर सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाई जा सकती है।
🛑 चुनाव प्रक्रिया पर अविश्वास – आयोग का दावा था कि फॉर्म 17C का पूर्ण खुलासा चुनावी प्रक्रिया को दूषित कर सकता है।
🛑 डेटा में वृद्धि का आरोप गलत? – आयोग ने कहा कि 5-6% की वृद्धि का दावा भ्रामक और निराधार है।


🔍 आगे क्या होगा?

📌 याचिकाकर्ता अगले 10 दिनों में चुनाव आयोग से मिलेंगे।
📌 अगर आयोग सहमत होता है, तो फॉर्म 17C वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जा सकता है।
📌 अगर सहमति नहीं बनी, तो सुप्रीम कोर्ट इस पर अंतिम फैसला सुना सकता है।


🔎 क्या चुनावी पारदर्शिता बढ़ेगी या नई चुनौती खड़ी होगी?

क्या फॉर्म 17C सार्वजनिक करने से चुनावी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होगी या यह अफवाहों और विवादों को जन्म देगा? आपकी क्या राय है?

📢 अपने विचार कमेंट में साझा करें! 🗳️


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