प्रधान शिक्षिका ने शिक्षामित्र, और Arp पर दर्ज किया रिपोर्ट

सिकंदरपुर सरोसी: प्रधान शिक्षिका ने शिक्षामित्र पर माहौल खराब करने का लगाया आरोप 📢

विद्यालय के अनुशासन पर विवाद, मामला दर्ज

सिकंदरपुर सरोसी ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय परमनी में अनुशासनहीनता का मामला सामने आया है। प्रधान शिक्षिका अनामिका ने अपने ही विद्यालय में तैनात शिक्षामित्र सुमेर यादव पर स्कूल का माहौल खराब करने और अनुशासनहीनता फैलाने का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई है।

आरोप यह भी है कि मियांगज ब्लॉक के एआरपी (एकेडमिक रिसोर्स पर्सन) धर्मेंद्र यादव ने भी उन्हें धमकी दी। शिक्षामित्र पर नशाखोरी और स्कूल में मनमानी करने का भी आरोप लगाया गया है।


क्या है पूरा मामला? ⚖️

प्रधानाध्यापक अनामिका, निवासी कानपुर, ने अपनी शिकायत में कहा कि शिक्षामित्र सुमेर यादव 5 दिसंबर 2024 से 31 जनवरी 2025 तक लगातार अनुपस्थित था। जब वह 1 फरवरी को विद्यालय आया, तो उसने प्रधान शिक्षिका से अपना कार्यभार दोबारा ग्रहण कराने की मांग की।

प्रधान शिक्षिका ने उसे बताया कि उसकी गैरहाजिरी की सूचना पहले ही बीईओ (खंड शिक्षा अधिकारी) को भेजी जा चुकी है। इस पर शिक्षामित्र ने झगड़ा करना शुरू कर दिया और अभद्र भाषा का प्रयोग किया।

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जब प्रधान शिक्षिका ने स्थिति को संभालने के लिए मियांगज बीआरसी के एआरपी धर्मेंद्र यादव से बात कराई, तो उन्होंने भी धमकाने और अनुचित भाषा का प्रयोग करने का प्रयास किया।


क्या बोले आरोपित? 🤔

🟢 शिक्षामित्र सुमेर यादव का बचाव

सुमेर यादव का कहना है कि वह बीमार था, इसलिए स्कूल नहीं आ सका। जब वह 2 फरवरी को विद्यालय पहुंचा, तो स्कूल बंद था। उन्होंने दावा किया कि प्रधानाध्यापक उन्हें झूठे आरोपों में फंसा रही हैं।

🟢 एआरपी धर्मेंद्र यादव का पक्ष

धर्मेंद्र यादव ने भी अपना बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने सिर्फ फोन पर बातचीत की थी, किसी को धमकाया नहीं।


शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया 🏢

विद्यालय में हो रहे इस विवाद को लेकर शिक्षा विभाग भी सतर्क हो गया है। अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच की जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

अब सवाल यह उठता है:

✅ क्या शिक्षामित्र वाकई अनुशासनहीनता कर रहा था?
✅ क्या प्रधान शिक्षिका पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं?
✅ क्या एआरपी की भूमिका निष्पक्ष थी?

इस मामले में जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ सकेगी।


निष्कर्ष 🏫

विद्यालयों में अनुशासन बनाए रखना बेहद जरूरी है। यदि कोई शिक्षक या शिक्षामित्र अपने कर्तव्यों से विमुख होकर अनुशासनहीनता करता है, तो उस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन साथ ही, किसी पर झूठे आरोप लगाकर उसकी छवि खराब करना भी गलत है।

अब सभी की नजरें शिक्षा विभाग की जांच पर टिकी हैं, जिससे सच्चाई का पता चल सकेगा।

📢 आप इस मामले पर क्या सोचते हैं? अपनी राय कमेंट में दें!


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