हाई कोर्ट का बड़ा फैसला – जज के वेतन खाते से पत्नी को मिलेगा गुजारा भत्ता
प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पति की कानूनी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग करने से पत्नी को न्याय नहीं मिल सकता। कोर्ट ने आदेश दिया कि विशेष न्यायाधीश (डकैती प्रभावित क्षेत्र) अली रज़ा की पत्नी को उनके वेतन खाते से हर महीने 30,000 रुपये गुजारा भत्ता दिया जाए।

कोर्ट ने क्या कहा?
हाई कोर्ट ने कहा कि गुजारा भत्ता देने में 12 साल की देरी करना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। परिवार अदालत के आदेश के बावजूद पत्नी को भत्ता नहीं दिया गया, जिससे कानूनी लड़ाई लंबी चली। कोर्ट ने कहा कि पत्नी को सहानुभूति पाने का पूरा अधिकार है।
गुजारा भत्ता सीधे वेतन खाते से
न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की पीठ ने कहा कि पति की सैलरी से हर महीने 30,000 रुपये पत्नी के खाते में भेजे जाएं। यह राशि 17 अगस्त 2019 से लागू होगी। इसके अलावा, तीन सप्ताह के भीतर 50,000 रुपये का भुगतान भी किया जाए। यह भुगतान छह महीने में पूरा होना चाहिए।
क्या है मामला?
- अली रज़ा और उनकी पत्नी का निकाह 4 मई 2002 को हुआ था।
- याचिका में कहा गया कि शादी में 30 लाख रुपये खर्च हुए थे और कार भी दी गई थी।
- बाद में 20 लाख रुपये अतिरिक्त मांगे गए।
- पति के साथ चार बच्चे (तीन बेटियां, एक बेटा) हैं, जो पिता के साथ रह रहे हैं।
- 18 नवंबर 2013 को पत्नी को घर से निकाल दिया गया, और 2 दिसंबर 2013 को तलाकनामा भेजा गया।
- पत्नी ने 125 शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन मामला लंबा खिंचता गया।
न्याय की दिशा में बड़ा कदम
इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करके न्याय में देरी नहीं की जा सकती। कोर्ट ने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एक मजबूत संदेश दिया है।

निष्कर्ष
इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले से उन महिलाओं को न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ी है जो कानूनी लड़ाइयों में फंसकर अपने अधिकारों से वंचित रह जाती हैं। इस फैसले से साफ है कि कानून की आड़ में अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट देखें।
न्याय की इस नई दिशा का स्वागत किया जाना चाहिए!