व्यापारियों को बड़ी राहत: सुप्रीम कोर्ट ने जीएसटी और सीमा शुल्क मामलों में अग्रिम जमानत का रास्ता खोला
सुप्रीम कोर्ट ने व्यापारियों और करदाताओं को राहत देते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) या सीमा शुल्क (कस्टम) मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं हुई है, तब भी वह अग्रिम जमानत की मांग कर सकता है।
इसके अलावा, धनशोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) सहित अन्य कानूनों के तहत गिरफ्तारी पर लागू सुरक्षा उपाय अब इन मामलों में भी लागू होंगे। हालांकि, कोर्ट ने संशोधित सीमा शुल्क कानून और जीएसटी के तहत गिरफ्तारी की शक्ति को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
यह फैसला मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने सुनाया।
- अदालत ने गिरफ्तारी की शक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।
- 63 पन्नों के आदेश में कहा गया कि संशोधित कानून में स्पष्ट है कि गिरफ्तारी कब और कैसे की जानी चाहिए।
- सीमा शुल्क अधिकारी पुलिस अधिकारी नहीं होते, लेकिन फिर भी उनके पास जांच करने और गिरफ्तारी का वैधानिक अधिकार है।
व्यापारियों के लिए बड़ी राहत: अग्रिम जमानत का अधिकार
अदालत ने साफ किया कि—
✔ व्यक्ति को अग्रिम जमानत के लिए अदालत जाने का अधिकार होगा, भले ही उसके खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज न हुई हो।
✔ जीएसटी और कस्टम कानूनों के तहत मामलों में भी आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) के प्रावधान लागू होंगे।
✔ गिरफ्तारी के अधिकार को आरोप तय करने के बराबर नहीं माना जा सकता और इसका उपयोग संयम से होना चाहिए।
सरकार का तर्क खारिज, सख्ती से बल प्रयोग रोकने का निर्देश
सरकार ने दावा किया था कि सीजीएसटी अधिनियम के तहत गिरफ्तारियां अधिकारियों के गंभीर संदेह के आकलन पर आधारित हैं। लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया।
- जीएसटी अधिनियम के तहत वसूली के लिए धमकी और बल प्रयोग को कोर्ट ने गंभीर चिंता का विषय बताया।
- कोर्ट ने साफ किया कि बल प्रयोग करने वाले अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई होनी चाहिए।
- सीमा शुल्क अधिकारियों को पुलिस अधिकारियों जैसी असीमित शक्तियां नहीं दी जा सकतीं।
व्यापारियों के लिए क्या बदलेगा?
➡ अब जीएसटी या कस्टम मामलों में भी अग्रिम जमानत का अधिकार मिलेगा।
➡ बिना ठोस कारण के गिरफ्तारी नहीं की जा सकेगी।
➡ धमकी देकर वसूली करने वाले अफसरों पर विभागीय कार्रवाई होगी।
➡ सीमा शुल्क अधिकारी पुलिस अधिकारी नहीं माने जाएंगे, जिससे उनकी शक्ति सीमित होगी।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला व्यापारियों और उद्योगपतियों के लिए एक बड़ी राहत है। अब सरकार या अधिकारियों द्वारा गलत तरीके से गिरफ्तारी की संभावना कम हो जाएगी। साथ ही, अग्रिम जमानत का रास्ता खुलने से व्यापार जगत को अनावश्यक कानूनी परेशानियों से बचाया जा सकेगा।