विधान परिषद में शिक्षकों की पुरानी पेंशन बहाली पर गरमाई बहस, सरकार ने किया इनकार

📝 विधान परिषद में शिक्षकों की पुरानी पेंशन बहाली पर गरमाई बहस, सरकार ने किया इनकार

📅 तिथि: [26/02/2025
लेखक: [sarkari kalam]


📌 विधान परिषद में पुरानी पेंशन बहाली पर गरमाई बहस

उत्तर प्रदेश विधान परिषद में मंगलवार को नियम 105 के तहत ध्रुव त्रिपाठी ने शिक्षकों को पुरानी पेंशन लागू करने की मांग पर चर्चा करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि 2005 से 2016 तक शिक्षकों को न तो प्रान नंबर अलॉट किए गए, न ही एनपीएस (नई पेंशन योजना) के तहत उनके अंशदान की कटौती हुई।

🔹 शिक्षकों ने एनपीएस को खारिज कर दिया है और पुरानी पेंशन की बहाली की मांग कर रहे हैं।
🔹 पहले केंद्र और फिर सपा सरकार में एनपीएस लागू किया गया, जिस पर नेता प्रतिपक्ष लालबिहारी यादव ने आपत्ति जताई और कहा कि सपा सरकार ने इसे लागू नहीं किया था।
🔹 इस बयान को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी बहस हुई।

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🎤 शिक्षा मंत्री गुलाब देवी का जवाब – पुरानी पेंशन की मांग स्वीकार योग्य नहीं

माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री गुलाब देवी ने इस मुद्दे पर स्पष्ट किया कि:

1 अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों को पुरानी पेंशन देने की मांग स्वीकार नहीं की जा सकती।
एनपीएस के तहत राज्यांश के लिए पहले ₹6 अरब और बाद में ₹3 अरब अतिरिक्त की व्यवस्था की गई है।
✅ सरकार ने शिक्षकों की पेंशन व्यवस्था को लेकर पहले ही पर्याप्त कदम उठाए हैं।

📌 इस पर ध्रुव त्रिपाठी ने आपत्ति दर्ज कराई और इसे लेकर सत्ता और विपक्ष के बीच काफी बहस और तकरार देखने को मिली।


🏡 प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि बढ़ाने पर भी चर्चा

👉 ग्राम विकास राज्य मंत्री विजयलक्ष्मी गौतम ने सपा विधायक अनिल प्रधान के सवाल के जवाब में बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि केंद्र सरकार से तय होती है।
👉 जब केंद्र से राशि बढ़ेगी, तो प्रदेशवासियों को उसका सीधा लाभ मिलेगा।

📌 यानी, प्रदेश सरकार का इस राशि को तय करने में सीधा हस्तक्षेप नहीं है।


🎯 निष्कर्ष

शिक्षकों को पुरानी पेंशन देने की मांग पर सरकार का इनकार जारी है।
एनपीएस पर सत्ता और विपक्ष में तकरार बढ़ती जा रही है।
प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि केंद्र सरकार की नीति पर निर्भर है।

💬 आपकी राय क्या है? क्या शिक्षकों को पुरानी पेंशन दी जानी चाहिए? अपनी राय कमेंट में दें! ⬇️


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