हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी: “राज्य का कर्तव्य है कि वह हर नागरिक के जीवन की रक्षा करे, चाहे वह जेल में ही क्यों न हो


⚖️ हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी: “राज्य का कर्तव्य है कि वह हर नागरिक के जीवन की रक्षा करे, चाहे वह जेल में ही क्यों न हो”

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के आरोपी का समय पर इलाज न कराने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह हर नागरिक के जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करे, भले ही वह जेल में हो।

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📌 जेल में कैदी के इलाज पर पुलिस का तर्क खारिज

मामला देवरिया के कयामुद्दीन से जुड़ा है, जिसने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जेल में उचित चिकित्सा सुविधा न मिलने की शिकायत की थी।

  • एडिशनल सेशन जज ने देवरिया जिला जेल के जेल अधीक्षक को आदेश दिया था कि याची का इलाज कराया जाए।
  • हालांकि, जेल अधीक्षक ने पुलिस बल की कमी और चुनाव ड्यूटी का हवाला देकर आदेश का पालन नहीं किया।
  • इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि व्यस्तता के कारण किसी कैदी के इलाज से इनकार नहीं किया जा सकता

🛑 डीएम और एसपी को हलफनामा दाखिल करने का आदेश

हाईकोर्ट ने डीएम देवरिया और पुलिस अधीक्षक को व्यक्तिगत रूप से मामले को देखने और कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।

इसके जवाब में प्रशासन ने बताया कि:

  • याची का इलाज जिला जेल में कराया जा रहा है।
  • उसे स्थानीय मेडिकल कॉलेज और बीआरडी मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया है।

हालांकि, कोर्ट ने इसे पर्याप्त नहीं माना और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि जेल में बंद कैदियों को समय पर और उचित उपचार मिलना सुनिश्चित किया जाए।

🚔 10 दिन में वारंट तामील नहीं हुआ तो जौनपुर एसपी को होना होगा हाजिर

हाईकोर्ट ने एक अन्य मामले में गैर जमानती वारंट को तामील न कराने पर कड़ी नाराजगी जताई है। जौनपुर के बादशाहपुर थाना क्षेत्र से संबंधित इस मामले में पुलिस अधीक्षक को 10 दिन के भीतर आरोपी को कोर्ट में प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है।

📍 मामला क्या है?

  • संगीता पटेल ने अपने पति रमेश पटेल के खिलाफ भरण-पोषण का केस दर्ज किया था।
  • कोर्ट ने भत्ता तय किया, लेकिन पति ने भुगतान नहीं किया
  • कोर्ट ने पहले जमानती और फिर गैर जमानती वारंट जारी किया, लेकिन पुलिस ने उसे तामील नहीं कराया।

इस पर हाईकोर्ट ने पुलिस की लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर 10 दिन में वारंट तामील नहीं होता, तो 12 मार्च को जौनपुर एसपी को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देना होगा

⚖️ निष्कर्ष – न्यायपालिका की सख्ती से क्या बदलेगा?

  • हाईकोर्ट ने जेल प्रशासन और पुलिस विभाग को जिम्मेदारी का एहसास कराने के लिए कड़े निर्देश दिए हैं।
  • कैदियों को संवैधानिक अधिकार के तहत उचित इलाज मिलना चाहिए।
  • पुलिस द्वारा गैर जमानती वारंट तामील न कराना कानून व्यवस्था पर सवाल उठाता है।

👉 क्या आपको लगता है कि पुलिस और जेल प्रशासन को जवाबदेह बनाने के लिए और सख्त कदम उठाने चाहिए? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं! 💬

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