बच्चों को अनिवार्य शिक्षा न मिलने पर हाईकोर्ट सख्त 🚨
बच्चों को अनिवार्य शिक्षा न मिलने के जिम्मेदारों पर क्यों न हो कड़ी कार्रवाई? ⚖️
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जताई चिंता, बेसिक शिक्षा सचिव से मांगा व्यक्तिगत हलफनामा
📌 प्राथमिक स्कूलों में अध्यापकों की कमी गंभीर समस्या
प्रयागराज – इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी पर गहरी चिंता व्यक्त की है। न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की बेंच ने सवाल उठाया कि आखिर क्यों न जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
📜 बांदा के विद्यालय प्रबंध समिति की याचिका
बांदा स्थित कृषि औद्योगिक विद्यालय प्रबंध समिति ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर बताया कि विद्यालय में पहले एक प्रधानाध्यापक और चार सहायक अध्यापक कार्यरत थे, लेकिन अब वहां कोई शिक्षक नहीं है।
🛑 अध्यापक भर्ती पर लगी थी रोक
याचिकाकर्ता ने बताया कि 15 नवंबर 2022 को भर्ती परिणाम घोषित किया गया था, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश से इस पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि, 15 फरवरी 2024 को यह याचिका खारिज हो गई। बावजूद इसके, अभी तक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई है।
⚖️ हाईकोर्ट का कड़ा रुख
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के अपर सचिव से पूछा है कि आखिर अब तक अध्यापकों की नियुक्ति क्यों नहीं हुई? साथ ही, कोर्ट ने यह भी पूछा कि लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए।
📅 अगली सुनवाई 11 मार्च को
इस मामले की अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी, जिसमें कोर्ट द्वारा लिए गए निर्णय पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।
🚀 शिक्षा सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
- सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती शीघ्र होनी चाहिए।
- शिक्षा बच्चों का मौलिक अधिकार है, इसे हर हाल में सुनिश्चित किया जाए।
- लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।