शिक्षकों पर कार्रवाई से पहले अनुमति होगी जरूरी

शिक्षकों पर कार्रवाई से पहले अनुमति होगी जरूरी

शिक्षकों पर कार्रवाई से पहले अनुमति होगी जरूरी

शिक्षा सेवा चयन आयोग के दायरे में आएगी शिक्षकों की सेवा सुरक्षा, विधान परिषद के सभापति ने दिए निर्देश

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एडेड स्कूलों और कॉलेजों के शिक्षकों के लिए राहत

अब उत्तर प्रदेश के एडेड स्कूलों, कॉलेजों और महाविद्यालयों के शिक्षकों पर कोई भी कार्रवाई करने से पहले शिक्षा सेवा चयन आयोग की अनुमति लेना अनिवार्य होगा। इस संबंध में विधान परिषद के सभापति ने निर्देश दिए हैं कि नियमावली में आवश्यक बदलाव दो माह के भीतर पूरा किया जाए।

माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम-1982 के रद्द होने से खड़ी हुई समस्या

विधान परिषद में कार्यस्थगन प्रस्ताव के माध्यम से ध्रुव त्रिपाठी ने इस मामले को उठाया। उन्होंने कहा कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम-1982 के रद्द होने के कारण शिक्षकों को समय पर प्रमोशन नहीं मिल पा रहा है। इसके अलावा, स्कूल प्रबंधन अपने स्तर पर शिक्षकों को निलंबित और सेवा समाप्त कर रहा है, जो अनुचित है।

शिक्षकों को मिलेगा लाभ

  • उत्तर प्रदेश में 7892 एडेड स्कूल और कॉलेज इस दायरे में आएंगे।
  • करीब 95334 शिक्षकों को इस निर्णय से लाभ मिलेगा।

महाविद्यालय शिक्षकों को नोशनल वेतन वृद्धि देने पर विचार

विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षकों की तरह महाविद्यालय शिक्षकों को भी नोशनल वेतन वृद्धि का लाभ देने पर विचार किया जाए।

वसी नकवी नेशनल इंटर कॉलेज शिक्षक का मामला

वसी नकवी नेशनल इंटर कॉलेज, रायबरेली के शिक्षक प्रदीप कुमार को 21 मई 2022 को निलंबित कर दिया गया था, लेकिन 21 माह से वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है। विधान परिषद में यह मामला कई बार उठाया गया, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।

विधान परिषद के सभापति ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक और रायबरेली डीआईओएस को 25 फरवरी को कार्यालय में तलब किया है। उन्होंने अफसरों की ढिलाई पर नाराजगी जताते हुए कहा कि वे जवाब देने तक को तैयार नहीं हैं।

सरकार जल्द निकालेगी समाधान

भाजपा सदस्य देवेंद्र प्रताप सिंह और सपा के लाल बिहारी यादव ने इस मुद्दे का समर्थन किया। नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य ने आश्वासन दिया कि जल्द ही बैठक बुलाकर समाधान निकाला जाएगा। विधान परिषद के सभापति ने निर्देश दिया कि नियमावली में आवश्यक संशोधन दो माह के भीतर किए जाएं

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