सॉल्वर को उम्रकैद, परीक्षा प्रभावित करने पर 10 साल की सजा
मुख्य सचिव ने यूपी बोर्ड परीक्षा की तैयारियों की समीक्षा में नए अधिनियम के तहत दिए निर्देश
मुख्य सचिव की सख्त हिदायत
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मंडलायुक्त, जिलाधिकारी और पुलिस अधिकारियों के साथ बोर्ड परीक्षा की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम के तहत सख्ती बरतने और प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए।
नए प्रावधानों के तहत सजा
- बोर्ड परीक्षा कार्य में लापरवाही – 7 साल की सजा और जुर्माना।
- परीक्षा से पहले पेपर खोलना या जानकारी देना – 10 साल कैद और 5 लाख रुपये जुर्माना।
- अनधिकृत रूप से परीक्षा करवाना – 10 साल कैद और 5 लाख रुपये जुर्माना।
- बाहरी व्यक्ति को परीक्षा केंद्र में प्रवेश दिलाना – 10 साल कैद और 5 लाख रुपये जुर्माना।
- परीक्षार्थी को अनुचित सहायता देने का प्रयास – 10 साल कैद और 10 लाख रुपये जुर्माना।
यूपी बोर्ड परीक्षा का कार्यक्रम
यूपी बोर्ड की परीक्षाएं 24 फरवरी से 12 मार्च तक चलेंगी। प्रदेश में 8,140 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। परीक्षा में 54,37,233 परीक्षार्थी (हाईस्कूल: 27,32,216 और इंटरमीडिएट: 27,05,017) शामिल होंगे।
मुख्य निर्देश
- नकल माफियाओं और असामाजिक तत्वों की कड़ी निगरानी।
- परीक्षा में बाधा डालने वालों के खिलाफ संज्ञेय अपराध के तहत कार्रवाई।
- सभी परीक्षा केंद्रों की पूर्व जांच और सुविधाओं का निरीक्षण।
- स्ट्रांग रूम की सीसीटीवी निगरानी और सशस्त्र बलों की तैनाती।
सुरक्षा उपाय और नई व्यवस्थाएं
अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार ने बताया कि परीक्षा को नकलविहीन बनाने के लिए नई व्यवस्थाएं की गई हैं। इसमें केंद्रवार कोडिंग, अतिरिक्त आरक्षित पेपर सेट, परीक्षा केंद्र निर्धारण से संबंधित आपत्तियों का समाधान और ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा शामिल हैं।
इसके अलावा, प्रदेश के 17 संवेदनशील जिलों में एसटीएफ और एलआईयू द्वारा विशेष निगरानी की जाएगी।