ईवीएम सत्यापन पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के सत्यापन की मांग पर भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि सत्यापन करते समय ईवीएम का डाटा डिलीट न किया जाए और न ही दोबारा अपलोड किया जाए।
ईवीएम सत्यापन पर 15 दिन में जवाब दे आयोग
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने यह आदेश एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और चुनाव में हारे उम्मीदवार सर्व मित्तर की ओर से दाखिल अर्जी पर विचार करते हुए दिया।
एडीआर की ओर से क्या कहा गया?
एडीआर की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ को बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 26 अप्रैल, 2024 को चुनाव के बाद ईवीएम की जली हुई मेमोरी, माइक्रो-कंट्रोलर और सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) की जांच और सत्यापन के आदेश का निर्वाचन आयोग द्वारा समुचित पालन नहीं किया जा रहा।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
- निर्वाचन आयोग को 15 दिन में जवाब देना होगा।
- ईवीएम डाटा को डिलीट या दोबारा अपलोड नहीं किया जाएगा।
- सत्यापन प्रक्रिया पारदर्शी और सुरक्षित होनी चाहिए।
ईवीएम सत्यापन पर क्यों उठे सवाल?
एडीआर और सर्व मित्तर की दलील है कि चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए ईवीएम के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर का सत्यापन जरूरी है।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से ईवीएम सत्यापन की पारदर्शिता और विश्वसनीयता में वृद्धि होगी। अब निर्वाचन आयोग की जवाबदेही बढ़ गई है और ईवीएम के सत्यापन में पारदर्शिता की उम्मीद है।