⚠️ ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर करोड़ों की ठगी: सरकारी अधिकारी और चिकित्सक बने शिकार ⚠️
गोंडा में साइबर अपराधियों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ का डर दिखाकर **एक सरकारी अधिकारी से ₹88.60 लाख** और **एक वरिष्ठ चिकित्सक से ₹13.53 लाख** ठग लिए। इन घटनाओं से साफ हो गया है कि ठग अब नई तकनीकों का इस्तेमाल कर लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं।
कैसे हुआ सरकारी अधिकारी से ₹88.60 लाख का फ्रॉड?
**15 जनवरी** को एक सरकारी अधिकारी के पास **अज्ञात नंबर से कॉल** आई। फोन करने वाले ने **दिल्ली पुलिस अधिकारी होने का दावा किया** और कहा कि:
- **आपका सिम दिल्ली से खरीदा गया है** और इसका **अवैध कार्यों में उपयोग हो रहा है।**
- **आपके नंबर से मनी लॉन्ड्रिंग और अश्लील वीडियो बनाए जाने की शिकायत दर्ज हुई है।**
- आपके खिलाफ **57 मुकदमे दर्ज हैं** और आपको **डिजिटल अरेस्ट में रखा जाएगा।**
अधिकारी ठगों की बातों में आ गए क्योंकि उन्होंने वास्तव में **दिल्ली से सिम खरीदी थी**। ठगों ने एक फर्जी **आईपीएस अधिकारी** से उनकी बात कराई, जिसने **नई दिल्ली में ‘अशोक गुप्ता’ नाम से एक बैंक खाता खोलने और उसमें ₹68 करोड़ के संदिग्ध लेन-देन का जिक्र किया।**
अधिकारी को **15 जनवरी से 2 फरवरी तक ‘डिजिटल अरेस्ट’** में रखा गया। इस दौरान **वे डर के कारण मित्रों से उधार लेकर, बैंक से लोन लेकर और जमीन बेचकर ठगों को ₹88.60 लाख ट्रांसफर कर चुके थे।** जब ठगों ने **दो लाख रुपये और मांगे**, तब उन्हें ठगी का अहसास हुआ और उन्होंने **पुलिस से संपर्क किया।**
चिकित्सक से 13.53 लाख रुपये की ठगी
**16 जनवरी को एक वरिष्ठ चिकित्सक के पास वीडियो कॉल आई**। कॉलर ने खुद को एक सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताया और कहा कि:
- उनके बैंक खाते में **अवैध लेन-देन** हुआ है।
- अगर वे सहयोग नहीं करेंगे, तो **48 घंटे के भीतर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।**
डर के कारण **चिकित्सक ने अलग-अलग खातों में ₹13.53 लाख ट्रांसफर कर दिए।** बाद में जब उन्होंने असली पुलिस से संपर्क किया, तब उन्हें ठगी का अहसास हुआ।
क्या होता है ‘डिजिटल अरेस्ट’?
**‘डिजिटल अरेस्ट’ एक नया साइबर क्राइम तरीका है**, जिसमें ठग किसी व्यक्ति को डराते हैं कि:
- उन पर **कोई गंभीर केस दर्ज** है।
- वे **सरकारी निगरानी में हैं** और अगर वे सहयोग नहीं करेंगे, तो **उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।**
इस डर से लोग **बिना सोचे-समझे ठगों को पैसा ट्रांसफर कर देते हैं।**
पुलिस की चेतावनी: साइबर ठगी से कैसे बचें?
**गोंडा एसपी विनीत जायसवाल** ने कहा कि दोनों मामलों की जांच **साइबर सेल कर रही है** और लोगों को **सावधान रहने की जरूरत है।**
⚠️ साइबर ठगी से बचने के लिए ये सावधानियां बरतें:
- **अगर कोई खुद को पुलिस अधिकारी बताकर पैसे मांगे, तो तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में संपर्क करें।**
- **किसी भी संदिग्ध वीडियो कॉल या अनजान नंबर से कॉल का जवाब न दें।**
- **अपने बैंक खाते या निजी जानकारी किसी से भी साझा न करें।**
- **अगर संदेह हो, तो तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करें।**
निष्कर्ष
गोंडा में हुई **डिजिटल अरेस्ट ठगी** ने दिखा दिया है कि **साइबर अपराधी किस तरह सरकारी अधिकारी और वरिष्ठ नागरिकों को भी निशाना बना रहे हैं।** अगर आपको भी कोई **संदिग्ध कॉल या मैसेज** आता है, तो **तुरंत पुलिस को सूचना दें और पैसे ट्रांसफर करने से बचें।**
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