आयकर से बचने के लिए प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री के खेल पर लगेगा अंकुश
लखनऊ। आयकर चोरी रोकने और कालेधन पर लगाम लगाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है।
रजिस्ट्री के खेल पर विभाग की नजर
आयकर विभाग की नजरों से बचने के लिए जमीन की वास्तविक कीमत को कम दिखाकर रजिस्ट्री कराने का खेल अब बंद होगा। स्टांप एवं पंजीयन विभाग ऐसे मामलों के लिए नए मानक तैयार करेगा। इसके तहत टैक्स चोरी के इरादे से जमीन की रजिस्ट्री करने वालों की जानकारी सीधे आयकर विभाग को भेजी जाएगी।
रजिस्ट्री के आंकड़ों में बड़ा खेल
अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने जाएं तो 30 लाख रुपये से कम मूल्य की संपत्ति मिलना मुश्किल है। लेकिन, प्रदेश में हर साल 30 लाख रुपये से कम कीमत वाली संपत्तियों की रजिस्ट्री की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पिछले साल प्रदेश में 46 लाख संपत्तियों की रजिस्ट्री 30 लाख रुपये से कम में हुई, जबकि इससे ऊपर की संपत्तियों की संख्या मात्र 2.5 लाख थी।
गलत प्रक्रिया से वैधीकरण का खेल
आयकर चोरी रोकने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत कार्रवाई तेज की जा रही है। यह देखा गया है कि लोग करोड़ों की जमीन का 30 लाख रुपये से कम में रजिस्ट्री कराते हैं। बाद में शेष स्टांप शुल्क, ब्याज और जुर्माना भरकर इस कालेधन को वैध करा लेते हैं।
अब मानकों के आधार पर होगी जांच
स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल ने बताया कि अब ऐसे मामलों के लिए मानक तय किए जा रहे हैं। इन मानकों के आधार पर संदिग्ध रजिस्ट्री के मामलों की जानकारी एआईजी स्टांप के माध्यम से आयकर विभाग को भेजी जाएगी।
“अब पैरामीटर बनाए जा रहे हैं, जिससे संदिग्ध मामलों की पहचान कर कार्रवाई हो सकेगी।”
अमर उजाला की खबर का असर
अमर उजाला ने 28 जनवरी के अंक में इस खेल का खुलासा किया था। इस खबर का संज्ञान लेकर स्टांप एवं पंजीयन विभाग ने तेजी से कदम उठाए हैं। अब रजिस्ट्री प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।