रुपये में गिरावट बिगाड़ देगी घर का बजट









रुपये में गिरावट बिगाड़ देगी घर का बजट

रुपये में गिरावट बिगाड़ देगी घर का बजट

लेखक: राजीव कुमार | स्थान: नई दिल्ली

खाद्य उत्पाद और अन्य वस्तुएं होंगी महंगी

डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में गिरावट जारी है।
बीते तीन महीनों में रुपया तीन प्रतिशत तक कमजोर हुआ है।
अगर यह गिरावट जारी रही तो खाद्य तेल, दाल,
और अन्य आयातित वस्तुएं महंगी हो जाएंगी।
इनकी कीमतों में वृद्धि से घरेलू बजट पर सीधा असर पड़ेगा।

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आयात बिल बढ़ने से बढ़ेगा चालू खाता घाटा

भारत आयात प्रधान देश है, और रुपये में गिरावट से आयात बिल बढ़ेगा।
चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल-नवंबर के दौरान भारत ने
284 अरब डॉलर का निर्यात किया, जबकि
486 अरब डॉलर का आयात किया।
इससे चालू खाता घाटा बढ़ने की संभावना है,
जो भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर कर सकता है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और दवाओं पर असर

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, दवाओं, और
केमिकल के कच्चे माल के लिए काफी हद तक आयात पर निर्भर है।
रुपये में गिरावट से इन उत्पादों की लागत बढ़ेगी, और कंपनियां
बढ़ी हुई लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर डाल सकती हैं।

पेट्रोलियम और खाद जैसे महत्वपूर्ण उत्पादों के
लिए भी भारत पूरी तरह आयात पर निर्भर है। इनकी कीमतों में वृद्धि से
महंगाई बढ़ने की आशंका है।

निर्यातकों को होगा सीमित लाभ

रुपये में गिरावट से निर्यातकों को आमतौर पर फायदा होता है,
क्योंकि उनके उत्पाद डॉलर में सस्ते हो जाते हैं।
लेकिन भारत में अधिकतर निर्यातित वस्तुओं के
कच्चे माल का आयात किया जाता है।
कच्चे माल की बढ़ी हुई लागत से निर्यातकों का लाभ कम हो सकता है।

आरबीआई के लिए चुनौतीपूर्ण होगा ब्याज दरों में कटौती

अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की संभावना
नहीं है, और वहां की नीतियां डॉलर को और मजबूत कर सकती हैं।
इससे भारतीय मुद्रा पर और दबाव बढ़ेगा।
ऐसे में आरबीआई के लिए फरवरी में ब्याज दरों में कटौती करना मुश्किल होगा।

महंगाई बढ़ने की संभावना

रुपये में गिरावट से खुदरा महंगाई दर पर त्वरित असर नहीं पड़ेगा,
क्योंकि इसमें मुख्य रूप से घरेलू उत्पादित वस्तुएं शामिल हैं।
लेकिन आयातित वस्तुओं की लागत बढ़ने से समय के साथ
महंगाई में वृद्धि हो सकती है।

“रुपये में गिरावट से खुदरा महंगाई पर प्रभाव कुछ समय बाद दिखेगा,
क्योंकि आयातित वस्तुओं की बढ़ी लागत उपभोक्ताओं पर डालनी पड़ेगी।”
– साक्षी गुप्ता, प्रमुख अर्थशास्त्री, एचडीएफसी बैंक

निष्कर्ष: रुपये में गिरावट का असर केवल महंगाई
तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह आयात बिल,
निर्यात, और आर्थिक विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।
इसे रोकने के लिए नीतिगत कदम उठाना जरूरी है।


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