भारत में लंबे कार्य घंटे और कम उत्पादकता पर रिपोर्ट









भारत में लंबे कार्य घंटे और कम उत्पादकता पर रिपोर्ट

भारत में लंबे कार्य घंटे और कम उत्पादकता: क्या है वास्तविकता?

रिपोर्ट: नंदिता वेंकटेशन | स्थान: नई दिल्ली

लंबे कार्य घंटे पर छिड़ी बहस

लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एस.एन. सुब्रह्मण्यन के
“सप्ताह में 90 घंटे काम” करने वाले बयान ने वर्क-लाइफ बैलेंस पर बहस छेड़ दी है।
इस बयान के बाद महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने कहा कि
“घंटे नहीं, बल्कि उत्पादकता मायने रखती है।”

हालांकि, भारत में लंबे समय तक काम करने का चलन है, लेकिन इसकी तुलना में
उत्पादकता काफी कम है।

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भारतीय श्रम कानून और काम के घंटे

भारतीय श्रम कानून के अनुसार, प्रत्येक दिन अधिकतम 9 घंटे काम किया जा सकता है,
जिसमें आधे घंटे का ब्रेक शामिल है। कर्मचारियों को
साप्ताहिक अवकाश का अधिकार भी है।
इसके बावजूद, आईएलओ (अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन) के अनुसार,
51% भारतीय कर्मचारी हर सप्ताह 49 घंटे से अधिक काम करते हैं।

  • औसत कार्य समय: 46.7 घंटे प्रति सप्ताह
  • सबसे अधिक काम करने वाले देश: भारत, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया
  • सबसे कम काम करने वाले देश: कनाडा, फ्रांस, रूस

कम उत्पादकता और कम वेतन

भारत में कर्मचारियों की उत्पादकता 8 डॉलर प्रति घंटे है,
जो कई विकासशील देशों की तुलना में सबसे कम है।
न्यूनतम मासिक आय सिर्फ 220 डॉलर है,
जो वैश्विक औसत से भी कम है।

श्रम उत्पादकता (2022-23):

  • उद्योग: 21.9%
  • कंस्ट्रक्शन: 2.9%
  • कृषि: 2.7%

लंबे समय तक काम करने के नकारात्मक प्रभाव

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन पेनकेवेल के
शोध के अनुसार, 50 घंटे से अधिक काम करने के बाद उत्पादकता कम हो जाती है।
55 घंटे के बाद आउटपुट में और भी कमी आती है।

डब्ल्यूएचओ और आईएलओ के 2021 के विश्लेषण के अनुसार,
लंबे समय तक काम करने के कारण 2016 में 7.5 लाख लोगों की मौत
स्ट्रोक और हृदय रोग से हुई।
इनमें मध्यम आयु वर्ग के पुरुष सबसे अधिक प्रभावित थे।

ओवरटाइम का प्रावधान

भारत में ब्लू कॉलर कर्मचारियों को ओवरटाइम के लिए दोगुना वेतन दिया जाता है।
हालांकि, व्हाइट कॉलर कर्मचारियों के लिए स्पष्ट प्रावधान नहीं हैं।
यह असमानता भी कर्मचारियों की समस्याओं को बढ़ा रही है।

क्या है समाधान?

  • घंटों के बजाय आउटपुट और उत्पादकता पर ध्यान दें।
  • कर्मचारियों के लिए वर्क-लाइफ बैलेंस सुनिश्चित करें।
  • सप्ताह में 5 कार्यदिवस और लचीले कार्य घंटे लागू करें।
  • स्वास्थ्य और मानसिक कल्याण पर ध्यान केंद्रित करें।
निष्कर्ष: भारत में लंबे कार्य घंटों के बावजूद उत्पादकता में कमी और कर्मचारियों की कम आय चिंता का विषय है।
यह समय है कि हम कार्य घंटे और उत्पादकता के बीच संतुलन बनाएं।

Source: आईएलओ, डब्ल्यूएचओ, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी


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