रुपये में दो साल की बड़ी गिरावट, सेंसेक्स 1,049 अंक टूटा
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और विदेशी पूंजी निकासी से घरेलू मुद्रा और शेयर बाजार प्रभावित
डॉलर के मुकाबले रुपया ऐतिहासिक निचले स्तर पर
सोमवार को रुपये में दो साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। डॉलर के मुकाबले रुपया 66 पैसे टूटकर 86.70 के सार्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। इससे पहले 6 फरवरी, 2023 को रुपये में 68 पैसे की गिरावट आई थी।
दिन के कारोबार के दौरान रुपया 86.11 के स्तर तक पहुंचा, लेकिन अधिकांश समय नकारात्मक दायरे में ही बना रहा। पिछले दो सप्ताह में रुपया एक रुपये से अधिक कमजोर हो चुका है।
सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट
घरेलू शेयर बाजारों में भी भारी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 1,049 अंक टूटकर 77,000 के नीचे बंद हुआ। वहीं, निफ्टी में 345.55 अंक की गिरावट रही। विदेशी पूंजी निकासी और वैश्विक बाजारों में कमजोर संकेतों ने बाजार पर दबाव डाला।
महंगाई दर में राहत
हालांकि, खुदरा महंगाई दर में राहत की खबर मिली। दिसंबर 2024 में खाने-पीने की वस्तुओं के दाम घटने से महंगाई दर 5.22% पर आ गई, जो पिछले चार महीने में सबसे कम है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के मुताबिक, खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 8.39% पर रही, जो नवंबर में 9.04% और दिसंबर 2023 में 9.53% थी।
रुपये में गिरावट के प्रमुख कारण
- कच्चे तेल की कीमतों में उछाल: वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का सीधा असर घरेलू मुद्रा पर पड़ा।
- विदेशी पूंजी निकासी: विदेशी निवेशकों ने लगातार पूंजी निकासी की, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ा।
- डॉलर की मजबूती: अमेरिकी डॉलर में मजबूती ने रुपये को कमजोर किया।
आर्थिक विशेषज्ञों की राय
“रुपये में गिरावट का असर आयात और व्यापार घाटे पर पड़ सकता है। हालांकि, महंगाई दर में राहत से घरेलू उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिलेगी।”