पत्नी साथ रहने का आदेश न मानने पर भी भत्ते की हकदार
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि यदि पत्नी के पास वैध कारण हैं, तो वह पति के साथ न रहते हुए भी भरण-पोषण का अधिकार रखती है।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पति के साथ रहने के आदेश का पालन न करने के बावजूद पत्नी गुजारा भत्ता की हकदार हो सकती है, यदि उसके पास साथ न रहने का वैध कारण हो।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि इस मामले में कोई सख्त नियम लागू नहीं किया जा सकता। यह फैसला परिस्थितियों, सबूतों और व्यक्तिगत तथ्यों पर निर्भर करता है।
पति के दावे पर सुप्रीम कोर्ट का जवाब
यह सवाल सुप्रीम कोर्ट के समक्ष था कि क्या वैवाहिक अधिकारों की बहाली के आदेश के बावजूद पत्नी द्वारा साथ रहने से इनकार करने पर पति भरण-पोषण देने से मुक्त हो सकता है।
पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि पत्नी के पास इनकार का वैध और पर्याप्त कारण है, तो उसे भरण-पोषण से वंचित नहीं किया जा सकता।
झारखंड के दंपति का मामला
यह फैसला झारखंड के एक दंपति के मामले में सुनाया गया। उनका विवाह एक मई 2014 को हुआ था, लेकिन अगस्त 2015 में वे अलग हो गए। पति ने पत्नी के साथ रहने की अपील की थी, लेकिन पत्नी ने इसे ठुकरा दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी तथ्यों और उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर यह निर्णय दिया कि पत्नी के पास इनकार का वैध कारण था।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
- पति के साथ रहने का आदेश वैध परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
- यदि पत्नी के पास साथ न रहने का वैध कारण है, तो वह भरण-पोषण की हकदार होगी।
- हर मामले में व्यक्तिगत तथ्यों और साक्ष्यों का अध्ययन जरूरी है।