चीन बनाएगा श्री गॉर्जेस से बड़ा बांध, होगा एक और विनाशकारी कद









चीन बनाएगा श्री गॉर्जेस से बड़ा बांध, होगा एक और विनाशकारी कदम

चीन बनाएगा श्री गॉर्जेस से बड़ा बांध, पृथ्वी के लिए एक और विनाशकारी कदम

**तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बनने वाला नया बांध**

चीन ने तिब्बत में यारलुंग सांगपो (ब्रह्मपुत्र) नदी पर श्री गॉर्जेस बांध से भी बड़ी जल विद्युत परियोजना को मंजूरी दी है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह परियोजना पर्यावरण के लिए एक और बड़ा संकट खड़ा कर सकती है।

यह परियोजना न केवल जलवायु संतुलन को प्रभावित करेगी बल्कि भारत और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

**श्री गॉर्जेस बांध का प्रभाव और नए खतरे**

चीन के हुबेई प्रांत के यिचांग शहर में स्थित श्री गॉर्जेस बांध ने पहले ही पृथ्वी की प्रणाली पर प्रभाव डाला है। नासा की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बांध के निर्माण और संचालन के कारण पृथ्वी के घूर्णन में 0.06 माइक्रोसेकंड की देरी हुई है।

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जब श्री गॉर्जेस बांध की सीमाओं के भीतर पानी जमा होता है, तो इसका द्रव्यमान पृथ्वी के घूर्णन को प्रभावित करता है। नासा के वैज्ञानिक बेंजामिन फोंग चाओ के अनुसार, भले ही यह प्रभाव नगण्य दिखता हो, लेकिन यह पृथ्वी की गति में बदलाव लाने के लिए पर्याप्त है।

**नए बांध के निर्माण से संभावित खतरे**

तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बनने वाला नया बांध जलवायु और पर्यावरण के लिए कई खतरों का कारण बन सकता है:

  • नदी के बहाव को बाधित करने से भारत और बांग्लादेश के जल संसाधनों पर प्रभाव पड़ेगा।
  • नदी पर आश्रित स्थानीय समुदायों की आजीविका पर संकट आएगा।
  • पृथ्वी के घूर्णन और जलवायु संतुलन पर दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है।
  • बांध निर्माण के दौरान भूस्खलन और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ सकता है।

**श्री गॉर्जेस से सीखने की जरूरत**

श्री गॉर्जेस बांध ने पहले ही पर्यावरण और पृथ्वी की प्रणाली को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। इस बांध ने स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र और जलीय जीवन को प्रभावित किया है। अब, चीन का नया बांध इन खतरों को और बढ़ा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की परियोजनाओं को मंजूरी देने से पहले वैश्विक सहमति और पर्यावरणीय प्रभाव का गहन अध्ययन होना चाहिए।

**वैश्विक स्तर पर चिंता**

नए बांध की परियोजना ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस परियोजना से दक्षिण एशिया में जल संसाधनों को लेकर तनाव बढ़ सकता है।

भारत और अन्य पड़ोसी देशों को इस मुद्दे पर चीन के साथ राजनयिक बातचीत करने की आवश्यकता है, ताकि क्षेत्रीय स्थिरता और पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

यह लेख Sarkarikalam द्वारा प्रस्तुत किया गया। पर्यावरण और जलवायु से जुड़ी अन्य खबरों के लिए हमारी वेबसाइट पर विजिट करते रहें।


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