विश्वविद्यालयों के शिक्षकों की छुट्टी पर नए दिशा-निर्देश – यूजीसी रेग्यूलेशन 2025







विश्वविद्यालयों के शिक्षकों की छुट्टी पर नए दिशा-निर्देश – यूजीसी रेग्यूलेशन 2025

विश्वविद्यालयों के शिक्षकों की छुट्टी पर नए दिशा-निर्देश – यूजीसी रेग्यूलेशन 2025

नई दिल्ली (सीमा शर्मा): अब विश्वविद्यालयों के शिक्षक छुट्टी का अधिकार के रूप में दावा नहीं कर सकेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने यूजीसी रेग्यूलेशन 2025 के मसौदे में शिक्षकों के लिए छुट्टी से संबंधित नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार, शिक्षकों की छुट्टी स्वीकृत करने, अस्वीकार करने या रद्द करने का अधिकार संबंधित प्राधिकारी के विवेकाधिकार में रहेगा।

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मेडिकल लीव पर सख्ती

नई गाइडलाइन में मेडिकल लीव पर बार-बार छुट्टी लेने वाले शिक्षकों पर सख्ती का प्रावधान किया गया है। यदि कोई शिक्षक थोड़े-थोड़े अंतराल पर बीमारी का हवाला देकर छुट्टी मांगता है, तो उसे मेडिकल अथॉरिटी के पास शारीरिक जांच के लिए भेजा जाएगा। जांच के बाद ही यह तय होगा कि शिक्षक को आराम की जरूरत है या वह ड्यूटी के लिए फिट है।

शिक्षकों के सामान्य कर्तव्य

यूजीसी ने पहली बार शिक्षकों के लिए पांच सामान्य कर्तव्य निर्धारित किए हैं। इनमें शामिल हैं:

  • अनुशासन का पालन करना।
  • छात्रों के प्रति जिम्मेदारी निभाना।
  • अधिकारियों के आदेशों का पालन करना।
  • छुट्टी के दौरान किसी अन्य व्यवसाय में शामिल न होना।
  • संस्थान के हित में कार्य करना।

छुट्टी पर जाने के नियम

नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, शिक्षक को केवल उनके अनुरोध पर ही छुट्टी दी जा सकती है। सक्षम प्राधिकारी शिक्षक के अनुरोध या सहमति के बिना उनकी छुट्टी को मंजूरी नहीं देगा। साथ ही, छुट्टी की प्रकृति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।

अन्य रोजगार पर प्रतिबंध

छुट्टी के दौरान शिक्षक किसी भी प्रकार के अन्य रोजगार, व्यापार या व्यवसाय में खुद को शामिल नहीं कर सकेंगे। हालांकि, आकस्मिक प्रकृति की सार्वजनिक सेवा या अन्य विशेष परिस्थितियों में छूट दी गई है।

यूजीसी के इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य शिक्षकों के अनुशासन और उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करना है। ये बदलाव न केवल शिक्षकों की जिम्मेदारियों को स्पष्ट करते हैं, बल्कि विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक वातावरण को भी बेहतर बनाने की दिशा में कदम हैं।


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