अनधिकृत लेनदेन से नुकसान की भरपाई बैंकों की जिम्मेदारी







अनधिकृत लेनदेन से नुकसान की भरपाई बैंकों की जिम्मेदारी

अनधिकृत लेनदेन से नुकसान की भरपाई बैंकों की जिम्मेदारी

शीर्ष कोर्ट ने कहा: तुरंत शिकायत करने पर बैंक अपने दायित्व से पीछे नहीं हट सकते। खाताधारकों को भी सतर्कता बरतने की सलाह दी गई।

सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा है कि यदि खातों से अनधिकृत लेनदेन की सूचना तुरंत दी जाती है, तो बैंकों को उस नुकसान की भरपाई करनी होगी। कोर्ट ने बैंकों को यह स्पष्ट संदेश दिया कि ग्राहकों को उनके खातों से अनधिकृत लेनदेन से बचाना उनकी जिम्मेदारी है।

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यह फैसला जस्टिस जेवी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने दिया। पीठ ने बैंकों से अपेक्षा की कि वे सर्वोत्तम तकनीक का उपयोग करें ताकि ऐसे लेनदेन को रोका जा सके।

ग्राहकों के लिए सतर्कता जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने खाताधारकों को भी सतर्क रहने की सलाह दी है। कोर्ट ने कहा कि ग्राहकों को ओटीपी और पासवर्ड जैसी संवेदनशील जानकारी किसी तीसरे पक्ष के साथ साझा नहीं करनी चाहिए। यदि ग्राहक लापरवाही बरतते हैं, तो कुछ मामलों में उनकी भी जिम्मेदारी तय की जा सकती है।

एसबीआई को ठहराया गया जिम्मेदार

गोहाटी हाईकोर्ट के एक मामले में, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को ग्राहक के खाते से हुए धोखाधड़ीपूर्ण और अनधिकृत लेनदेन के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। हाईकोर्ट ने बैंक को राशि वापस करने का आदेश दिया था।

एसबीआई ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चूंकि ग्राहक ने 24 घंटे के भीतर शिकायत दर्ज कर दी थी, इसलिए बैंक की देयता बनती है।

आरबीआई का सर्कुलर

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 6 जुलाई, 2017 के सर्कुलर का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि यदि ग्राहक अनधिकृत लेनदेन की सूचना तुरंत देता है, तो बैंक को जिम्मेदारी लेनी होगी। कोर्ट ने इसे बैंकों के लिए एक महत्वपूर्ण दिशानिर्देश माना।

अनधिकृत लेनदेन का मामला

इस मामले में, एक ग्राहक के एसबीआई खाते से 94,204 रुपये धोखाधड़ी से निकाले गए थे। ग्राहक ने समय रहते बैंक को इसकी सूचना दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि यह लेनदेन पूरी तरह धोखाधड़ीपूर्ण और अनधिकृत था और बैंक की जिम्मेदारी है कि वह ग्राहक को राशि वापस करे।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से खाताधारकों को उनके अधिकारों के प्रति सुरक्षा का भरोसा मिलेगा। साथ ही, बैंकों को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अनधिकृत लेनदेन को रोकने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग करें।


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