चीन ने बॉर्डर पर बनाए दो नए जिले ,भारत कर रहा विरोध









लद्दाख सीमा विवाद: चीन के कदम पर भारत का विरोध

लद्दाख सीमा विवाद: चीन के कदम पर भारत का कड़ा विरोध

भारत ने लद्दाख की सीमा से लगते होतन प्रांत में चीन द्वारा दो नई काउंटियों की स्थापना पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। इन काउंटियों के कुछ हिस्से लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश में आते हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत इस क्षेत्र में चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं करेगा।

चीन की नई काउंटियां: हेआन और हेकांग

चीन ने शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र के होतन प्रांत में हेआन और हेकांग नाम से दो नई काउंटियों की स्थापना की है। इनके मुख्यालय होंग्लिठ और मृदुला शहर में स्थित हैं। भारत ने कूटनीतिक चैनल के माध्यम से इस कदम पर अपनी आपत्ति जताई है।

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भारतीय विदेश मंत्रालय का बयान

“भारत ने इस क्षेत्र में चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है। इस तरह के कदमों से चीन के कब्जे को वैधता नहीं मिलेगी।”

– रणधीर जायसवाल, प्रवक्ता, विदेश मंत्रालय

चीन की विवादित गतिविधियां

चीन दशकों से भारतीय भूभाग पर अपने दावे जताने और विवाद पैदा करने के प्रयास कर रहा है।

  • 2017 में अरुणाचल प्रदेश के छह स्थानों के नाम मानकीकृत किए।
  • 2021 में 15 स्थानों और 2023 में 11 स्थानों के नाम जारी किए।
  • अक्साई चिन पर अवैध कब्जा कर 1962 के युद्ध में इसे अपने नियंत्रण में ले लिया।

अक्साई चिन और होतन प्रांत

अक्साई चिन, जो पहले लद्दाख का हिस्सा था, चीन के 1950 के दशक से कब्जे में है। 1962 के युद्ध में चीन ने 38,000 वर्ग किमी क्षेत्र पर कब्जा कर इसे शिनजियांग उइगर में मिला लिया।

पाकिस्तान ने भी अवैध रूप से 5,180 वर्ग किमी क्षेत्र चीन को सौंप दिया।

ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध का निर्माण

भारत ने यारलुंग त्संगपो (ब्रह्मपुत्र) नदी पर चीन द्वारा बड़े बांध निर्माण को लेकर चिंता जताई है।

  • बांध निर्माण से अरुणाचल प्रदेश और असम के हितों को नुकसान पहुंच सकता है।
  • भारत ने पारदर्शिता और निचले हिस्से के देशों से विमर्श की मांग की है।

भारत का रुख

भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सतर्क रहेगा। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत क्षेत्र में हो रहे हर बदलाव पर निगरानी रखेगा और आवश्यक कदम उठाएगा।

भारत-चीन सीमा विवाद ने क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा कर दी है। यह जरूरी है कि दोनों देश बातचीत के माध्यम से इन मुद्दों को हल करें।


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