डॉलर सूचकांक में मजबूती: रुपये की गिरावट और संभावित प्रभाव
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से डॉलर सूचकांक अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में लगातार मजबूत हो रहा है। इस मजबूत डॉलर का असर भारतीय रुपये पर भी पड़ा है, जो मार्च तिमाही, 2025 तक गिरकर 86 रुपये से नीचे पहुंचने की संभावना है।
रुपये में गिरावट: आंकड़ों पर नजर
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट के अनुसार, मार्च तिमाही, 2025 में रुपये का औसत मूल्य 86.1 रुपये तक गिरने का अनुमान है। यह दिसंबर तिमाही, 2024 के औसत 84.5 रुपये से 1.9% अधिक गिरावट को दर्शाता है।
तिमाही | गिरावट (%) |
---|---|
सितंबर, 2023 | -0.6% |
दिसंबर, 2023 | -0.7% |
मार्च, 2024 | 0.3% |
जून, 2024 | -0.5% |
सितंबर, 2024 | -0.4% |
दिसंबर, 2024 | -0.8% |
मार्च, 2025 | -1.9% (अनुमानित) |
रुपये में गिरावट के प्रमुख कारण
- डॉलर सूचकांक का मजबूती: अमेरिकी मुद्रा की मजबूती का प्रभाव भारतीय मुद्रा पर सीधा पड़ा है।
- वैश्विक अनिश्चितताएं: रूस-यूक्रेन युद्ध और अन्य भू-राजनीतिक घटनाओं ने डॉलर को अधिक मजबूत किया।
- आरबीआई की नीतियां: नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के कार्यकाल में रुपये में 1.3% की गिरावट देखी गई।
रुपये का ऐतिहासिक प्रदर्शन
भारतीय मुद्रा का प्रदर्शन हाल के वर्षों में कमजोर रहा है। खासतौर पर:
- 83 से 84 रुपये तक आने में 457 दिन लगे।
- 84 से 85 तक पहुंचने में केवल 60 दिन लगे।
- 85 से 86 तक पहुंचने में मात्र 14 दिन लगे।
एशियाई मुद्राओं की तुलना
दिसंबर 2024 में, भारतीय रुपया अन्य प्रमुख एशियाई मुद्राओं की तुलना में सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाली मुद्रा रही।
डॉलर सूचकांक का प्रभाव अन्य मुद्राओं पर
डॉलर की मजबूती का असर यूरो और ब्रिटिश पाउंड पर भी पड़ा है। यूरो नवंबर 2022 के बाद अपने दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। ब्रिटिश पाउंड भी 1.17% गिरावट के साथ अपने आठ महीने के निचले स्तर पर आ गया है।