भारतीय बैंकों का प्रदर्शन: एनपीए में ऐतिहासिक गिरावट
इसका सबसे बड़ा असर यह हुआ कि 20 प्रमुख देशों में शुद्ध एनपीए (बुरे फंसे कर्ज) के मामले में
हमारे बैंक सबसे आगे हैं। सितंबर 2024 तिमाही में भारतीय बैंकों का शुद्ध एनपीए घटकर
0.57% रह गया है, जबकि सकल एनपीए 13 साल के निचले स्तर
2.5% पर आ गया है।
दुनियाभर में एनपीए का रुझान
आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, एनपीए कम करने में सबसे बेहतर प्रयास ग्रीस का रहा।
2015 में ग्रीस का एनपीए 35.71% था, जो अब 6.65% पर आ गया है।
हालांकि, प्रमुख 20 देशों में यह अभी भी सबसे अधिक है।
विकसित देशों में एनपीए की स्थिति स्थिर रही है। उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया का
एनपीए 2015 में 0.89% था, जो चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 0.95% पर पहुंचा।
वहीं, कनाडा, डेनमार्क, यूके, और अमेरिका
जैसे देशों में भी एनपीए में सुधार देखा गया है।
भारतीय बैंकों की मजबूत स्थिति
भारतीय बैंकों की वित्तीय स्थिति में सुधार का श्रेय जोखिम प्रबंधन,
आईटी मानकों और सुधार योजनाओं को जाता है।
चालू वित्त वर्ष 2023-24 में लगातार छठे वर्ष बैंकों की लाभप्रदता में सुधार हुआ है।
नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) ने भी एनपीए को कम करने में सुधार दिखाया है।
भारतीय बैंकों का शुद्ध एनपीए मार्च 2024 में 0.62% था, जो सितंबर 2024 में घटकर
0.57% रह गया। इसके साथ ही, कर्ज और जमा में लगातार विस्तार ने बैंकों की
वित्तीय स्थिरता को मजबूत किया है।
अंतर्राष्ट्रीय तुलना
देश | 2015 का एनपीए | 2024 का एनपीए |
---|---|---|
भारत | 1.67% | 0.57% |
ग्रीस | 35.71% | 6.65% |
ब्राजील | 1.57% | 1.59% |
स्पेन | 5.09% | 3.04% |
भविष्य के लिए सुझाव
केंद्रीय बैंक ने बैंकों को संदिग्ध लेनदेन और
बेईमान गतिविधियों की जांच पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया है।
साथ ही, एनबीएफसी को ग्राहकों की शिकायतों के समाधान और अत्यधिक ब्याज दरों से बचने की सलाह दी गई है।
ये उपाय भारतीय बैंकों की वित्तीय स्थिरता को और मजबूत करेंगे।
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