मुख्यमंत्री दर्पण डैशबोर्ड पर बेसिक शिक्षा की स्थिति में सुधार की जरूरत
लखनऊ। मुख्यमंत्री दर्पण डैशबोर्ड पर बेसिक शिक्षा की स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है। तमाम प्रयासों के बावजूद विभाग आठ में से छह मानकों पर लगातार फिसड्डी बना हुआ है। इस स्थिति को सुधारने के लिए शिक्षा महानिदेशालय ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) को चेतावनी जारी करते हुए एक महीने का समय दिया है।
विभाग की स्थिति ‘सी’ ग्रेड पर अटकी
मुख्यमंत्री दर्पण डैशबोर्ड पर बेसिक शिक्षा विभाग के आठ प्रोजेक्ट में से अधिकांश की स्थिति सुधारने में विफल रही है। नवंबर के अंत में जब प्रदेश स्तर पर ग्रेडिंग के परिणाम निकाले गए, तो केवल दो प्रोजेक्ट में सुधार दिखाई दिया, जबकि अन्य छह प्रोजेक्ट की स्थिति जस की तस रही। इन छह प्रोजेक्ट्स की स्थिति ‘सी’ ग्रेड पर अटकी हुई है।
बीएसए को एक महीने का समय
शिक्षा महानिदेशालय ने सभी बीएसए को ग्रेडिंग सुधारने के लिए एक महीने का समय दिया है। विभाग ने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि सुधार के प्रयासों में तेजी लाई जाए और कार्यों को निर्धारित समय में पूरा किया जाए।
खराब प्रगति वाले प्रमुख प्रोजेक्ट्स
बेसिक शिक्षा विभाग के जिन छह प्रोजेक्ट्स की स्थिति खराब है, उनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं:
- आईजीआरएस सुनवाई: इस प्रोजेक्ट में प्रकरणों के निस्तारण की दर सिर्फ 36.12% रही है।
- ऑनलाइन मान्यता आवेदन: इस प्रोजेक्ट में आवेदन के समयबद्ध निस्तारण की प्रगति 66.65% रही है।
- सीएमआईएस पोर्टल: विभाग की एक करोड़ से अधिक मूल्य की प्रचलित परियोजनाओं की प्रगति सिर्फ 68.29% रही है।
- निपुण असेस्मेंट टेस्ट: छात्रों के A+, A, और E ग्रेड की प्राप्ति में 71.62% प्रगति हुई है।
- मिड डे मील योजना: बच्चों को भोजन उपलब्ध होने की प्रगति 76.50% रही है।
विभाग की स्थिति में सुधार की आवश्यकता
इन आंकड़ों के आधार पर यह स्पष्ट है कि विभाग को इन प्रोजेक्ट्स में सुधार लाने की आवश्यकता है। शिक्षा महानिदेशालय ने अधिकारियों को सख्त चेतावनी दी है कि यदि सुधार नहीं हुआ तो कार्यवाही की जा सकती है। बीएसए को समयबद्ध तरीके से कार्यों को पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि राज्य स्तर पर विभाग की स्थिति में सुधार हो सके।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री दर्पण डैशबोर्ड पर विभाग की स्थिति में सुधार की आवश्यकता है और बीएसए को इस दिशा में गंभीर कदम उठाने के लिए एक महीने का समय दिया गया है। शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली में तेजी लाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिसे यदि सही तरीके से इस्तेमाल किया गया तो यह राज्य की बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार ला सकता है।