प्राइमरी स्कूलों की अर्धवार्षिक परीक्षाएं: प्रश्न पत्रों की व्यवस्था पर उठा विवाद

**प्राइमरी स्कूलों की अर्धवार्षिक परीक्षाएं: प्रश्न पत्रों की व्यवस्था पर उठा विवाद** 

लखनऊ के 1618 प्राइमरी स्कूलों में 23 से 28 दिसंबर तक होने वाली अर्धवार्षिक परीक्षाएं विवादों में घिर गई हैं। **बीएसए कार्यालय ने प्रश्न पत्र छपवाने की बजाय हाथ से लिखे प्रश्न पत्रों की पीडीएफ बनाकर बीईओ (ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर) के माध्यम से स्कूलों तक पहुंचाई है।** इस व्यवस्था ने प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को असमंजस में डाल दिया है, जिससे उनके बीच नाराजगी बढ़ रही है। 

### **पीडीएफ के माध्यम से प्रश्न पत्र वितरण** 
बीएसए कार्यालय ने 20 दिसंबर को कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों के लिए हाथ से लिखे प्रश्न पत्रों की पीडीएफ फाइलें बीईओ को भेजी। बीईओ ने इन फाइलों को स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को भेज दिया और निर्देश दिया कि **पीडीएफ से ही परीक्षा आयोजित की जाए।** 
– प्रधानाध्यापक या तो इन प्रश्न पत्रों की **फोटो कॉपी कराएं** या फिर ब्लैकबोर्ड पर प्रश्न लिखकर परीक्षा कराएं। 
– लेकिन **फोटो कॉपी का बजट न होने के कारण** प्रधानाध्यापक असमंजस में हैं। 

### **शिक्षकों में आक्रोश और तकनीकी खामियां** 
बीईओ द्वारा प्रश्न पत्रों की पीडीएफ व्हाट्सऐप ग्रुप पर वायरल किए जाने से शिक्षकों में भारी नाराजगी है। 
– 20 दिसंबर को एक बीईओ ने शिक्षकों के व्हाट्सऐप ग्रुप में **अर्धवार्षिक परीक्षा के प्रश्न पत्र साझा कर दिए।** 
– ग्रुप पर जुड़े शिक्षकों ने इसे **गोपनीयता भंग** करने का मामला बताया और आपत्ति जताई। 
– शिकायत के बाद, बीईओ ने पीडीएफ फाइल डिलीट कर दी, लेकिन तब तक फाइल सार्वजनिक हो चुकी थी। 

### **प्रश्न पत्र व्यवस्था की चुनौतियां** 
प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने स्तर पर परीक्षा आयोजित करें। 
**फोटो कॉपी का खर्च:** 
  दोनों पालियों के प्रश्न पत्रों की फोटो कॉपी कराने पर प्रति दिन करीब 300 रुपये का खर्च आएगा। 
  इसका भुगतान करने के लिए कोई बजट नहीं दिया गया है, जिससे प्रधानाध्यापक परेशान हैं। 
**ब्लैकबोर्ड पर प्रश्न लिखने का विकल्प:** 
  यदि फोटो कॉपी नहीं कराई जाती, तो प्रश्न ब्लैकबोर्ड पर लिखकर परीक्षा लेनी होगी। लेकिन यह प्रक्रिया समय लेने वाली है और शिक्षकों के लिए मुश्किल भरी हो सकती है। 

### **बीएसए की चुप्पी और संवादहीनता** 
बीएसए राम प्रवेश से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। 
– शिक्षकों का कहना है कि इस तरह की **अव्यवस्थित योजना** छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए हानिकारक है। 
– शिक्षकों ने मांग की है कि परीक्षा की प्रक्रिया को सरल और व्यवस्थित बनाया जाए। 

### **क्या है समाधान?** 
1. **परीक्षा के लिए बजट आवंटन:** 
   प्रधानाध्यापकों को फोटो कॉपी कराने के लिए पर्याप्त बजट दिया जाना चाहिए। 
2. **गोपनीयता बनाए रखने के उपाय:** 
   प्रश्न पत्रों की पीडीएफ केवल संबंधित प्रधानाध्यापकों को भेजने की प्रक्रिया का सख्ती से पालन किया जाए। 
3. **सही संवाद और समर्थन:** 
   बीएसए और बीईओ को शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों के साथ संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए। 

### **निष्कर्ष** 
यह घटना सरकारी स्कूलों में परीक्षा प्रबंधन की खामियों को उजागर करती है। **गोपनीयता भंग करने और बिना उचित योजना के परीक्षाएं आयोजित करने की प्रक्रिया से शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी हो रही हैं।** सरकार और शिक्षा विभाग को इसे गंभीरता से लेकर जल्द ही समाधान निकालना चाहिए, ताकि बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो। 

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