### **सुप्रीम कोर्ट का फैसला: गुजारा भत्ता निर्धारण पर कोई तय फॉर्मूला नहीं**
**नई दिल्ली:** सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में स्पष्ट किया कि **गुजारा भत्ता का निर्धारण** एक जटिल प्रक्रिया है और इसे किसी **एकल फॉर्मूले** से तय नहीं किया जा सकता। मामला एक ऐसे दंपति का था, जहां पति ने तलाक की मांग की, जबकि पत्नी ने **मोटी गुजारा भत्ता राशि** का दावा किया।
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### **पत्नी का तर्क:**
पत्नी ने अदालत के समक्ष कहा कि:
1. उसके पति की कुल संपत्ति **5000 करोड़ रुपये** है।
2. पति ने पहले तलाक के मामले में अपनी पहली पत्नी को **500 करोड़ रुपये** और अमेरिका स्थित एक घर दिया था।
3. वह भी अपने पति की वित्तीय स्थिति के अनुरूप स्थायी **गुजारा भत्ता** पाने की हकदार है।
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### **सुप्रीम कोर्ट का रुख:**
1. **कोई तय फॉर्मूला नहीं:**
अदालत ने कहा कि गुजारा भत्ता का निर्धारण विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जैसे:
– पति-पत्नी की आय और संपत्ति।
– जीवनशैली और आवश्यकताएं।
– अन्य वित्तीय जिम्मेदारियां।
इसलिए इसे एक सटीक गणना के जरिए तय नहीं किया जा सकता।
2. **कानून का दुरुपयोग:**
अदालत ने यह भी कहा कि कुछ मामलों में:
– **कानूनी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग** किया जाता है।
– पत्नी और उसके परिवार द्वारा **अपराधिक शिकायतों** का उपयोग पति और उसके परिवार पर दबाव बनाने के लिए किया जाता है।
– यह प्रवृत्ति वैवाहिक विवादों को अनावश्यक रूप से जटिल और बदसूरत बना देती है।
3. **मामूली विवाद, बड़ी लड़ाई:**
अदालत ने कहा कि अक्सर **छोटे मुद्दे** भी पति-पत्नी के बीच **अहंकार** और **प्रतिष्ठा की लड़ाई** में बदल जाते हैं, जिससे विवाद
