इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान: मुस्लिम छात्र को नानवेज लाने पर निष्कासित करने का मामला

**इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान: मुस्लिम छात्र को नानवेज लाने पर निष्कासित करने का मामला** 

**प्रयागराज:** इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मुस्लिम छात्र और उसके भाई-बहनों के साथ हुए **भेदभावपूर्ण व्यवहार** के मामले में हस्तक्षेप किया है। यह घटना **सितंबर 2024** की है, जब अमरोहा के एक निजी सीबीएसई से संबद्ध स्कूल ने सात वर्षीय छात्र को कथित तौर पर **टिफिन में नानवेज बिरयानी लाने** के कारण स्कूल से निष्कासित कर दिया था। 

### **हाईकोर्ट का आदेश** 
न्यायमूर्ति **सिद्धार्थ** और न्यायमूर्ति **सुभाष चंद्र शर्मा** की पीठ ने अमरोहा के **जिलाधिकारी (डीएम)** को निर्देश दिया है कि: 
1. छात्र और उसके दो भाई-बहनों को **दो सप्ताह के भीतर किसी अन्य सीबीएसई स्कूल में प्रवेश** दिलाया जाए। 
2. इस प्रक्रिया का प्रमाण देते हुए हलफनामा दायर करें। 
3. आदेश का पालन न करने पर डीएम को **6 जनवरी 2024** को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होना होगा। 



### **मामले की पृष्ठभूमि** 
– कक्षा तीन के छात्र को उसके दो भाई-बहनों के साथ स्कूल से निष्कासित कर दिया गया था। 
– **प्रिंसिपल** ने छात्र की परवरिश पर सवाल उठाते हुए कथित तौर पर अनुचित भाषा का इस्तेमाल किया। 
– बच्चे की मां **सबरा** ने आरोप लगाया कि प्रिंसिपल ने उनके बेटे को पीटा। 
– मां और प्रिंसिपल के बीच हुई बातचीत का वीडियो भी प्रसारित हुआ, जिससे मामला सुर्खियों में आया। 

### **समिति की जांच और विवाद** 
मामले की जांच के लिए प्रशासन ने एक समिति गठित की, जिसने: 
– **प्रिंसिपल को क्लीनचिट** दे दी। 
– अनुचित भाषा के लिए केवल मामूली चेतावनी दी। 

हालांकि, मां ने दावा किया कि स्कूल का आचरण बच्चों के **शिक्षा के अधिकार (Right to Education)** का उल्लंघन करता है। 



### **कोर्ट में मां की याचिका** 
छात्र की मां और उसके बच्चों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर: 
– स्कूल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने, 
– शिक्षा का अधिकार बहाल करने, 
– और अन्य राहतों की मांग की। 

मां ने आरोप लगाया कि स्कूल से निष्कासन न केवल बच्चों के भविष्य के लिए हानिकारक है, बल्कि यह **धार्मिक और सांस्कृतिक भेदभाव** को भी दर्शाता है। 



### **अमरोहा के डीएम को तलब** 
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अमरोहा के डीएम को आदेश दिया कि: 
– **छात्रों के शिक्षा के अधिकार** की बहाली सुनिश्चित करें। 
– बच्चों को **सीबीएसई से संबद्ध किसी अन्य स्कूल** में प्रवेश दिलाया जाए। 
– कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करें। 



### **निष्कर्ष** 
यह मामला शिक्षा के अधिकार और धार्मिक सहिष्णुता जैसे मुद्दों को उजागर करता है। 
हाईकोर्ट का आदेश न केवल **बच्चों के भविष्य की रक्षा** करता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि **भेदभाव और अन्याय** के खिलाफ कानून का पालन किया जाएगा। 

**”हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार है, और इसे किसी भी प्रकार के भेदभाव से बाधित नहीं किया जा सकता।”**

WhatsApp Channel Join Now
WhatsApp Group Join Now
Telegram Channel Join Now

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top