**महाराष्ट्र के शपथग्रहण समारोह में गूंजा मां का नाम: नई परंपरा की शुरुआत**
**नागपुर:** महाराष्ट्र के महायुति सरकार के शपथग्रहण समारोह में इस बार एक अनोखी और प्रेरणादायक परंपरा की शुरुआत हुई। मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल **37 मंत्रियों ने शपथ ग्रहण के दौरान अपने नाम के साथ मां का नाम जोड़कर** एक नई मिसाल पेश की। यह परंपरा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा शुरू की गई थी, जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते समय अपने नाम के साथ अपनी मां सरिता और पिता गंगाधर राव का नाम जोड़ा था।
### **मां का नाम जोड़ने की प्रेरणा**
मुख्यमंत्री फडणवीस के इस कदम से प्रेरित होकर, मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान सभी मंत्रियों ने शपथ लेते समय पहले अपनी मां और फिर पिता का नाम अपने नाम के साथ लिया। इस नई परंपरा की शुरुआत प्रदेश भाजपा अध्यक्ष **चंद्रशेखर बावनकुले** ने की। शपथ ग्रहण करते हुए उन्होंने खुद को **”चंद्रशेखर प्रभावती कृष्णराव”** के रूप में संबोधित किया। इसके बाद, समारोह में शामिल सभी मंत्रियों ने इसी परंपरा को निभाते हुए अपने माता-पिता का नाम लिया, जिससे पूरा माहौल **मां के नाम की गूंज से भावनात्मक** हो उठा।
### **राज्यपाल का अनुभव**
शपथ ग्रहण के बाद राज्यपाल **सीपी राधाकृष्णन** ने कहा कि यह उनके लिए भी एक अनोखा अनुभव था। उन्होंने इसे एक **भावनात्मक और प्रेरक पहल** बताया। राज्यपाल ने कहा, “मां को पहला गुरु माना जाता है। वह हमें धर्म और कर्म का पाठ पढ़ाती है और जीवन को सक्षम बनाती है। इस तरह का समारोह मेरे लिए पहला अनुभव है।”
### **नए संस्कार की शुरुआत**
शपथ ग्रहण के दौरान यह अनोखी परंपरा केवल एक रिवाज नहीं, बल्कि **मातृ शक्ति के प्रति सम्मान और कृतज्ञता** का प्रतीक बन गई। महाराष्ट्र जैसे राज्य में, जहां अक्सर नाम के साथ पिता का नाम जोड़ने की परंपरा रही है, वहां इस नई पहल ने समाज में महिलाओं, विशेषकर माताओं के योगदान को मान्यता देने का संदेश दिया है।
### **मां का नाम जोड़ने का सिलसिला**
मुख्यमंत्री फडणवीस और चंद्रशेखर बावनकुले के बाद, सभी 37 मंत्रियों ने अपने नाम के साथ मां का नाम जोड़ा। यह सिलसिला शपथ ग्रहण के अंत तक चला और इसे जनता और नेताओं से व्यापक सराहना मिली। इस तरह महाराष्ट्र के शपथ ग्रहण समारोह ने **नए संस्कार और परंपरा की नींव** रखी।
### **समाज के लिए प्रेरणा**
मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण में इस नई परंपरा ने समाज को यह संदेश दिया कि मां का योगदान किसी भी रूप में अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। यह कदम न केवल महिलाओं के प्रति सम्मान को बढ़ावा देता है, बल्कि युवाओं को **संस्कार और पारिवारिक मूल्यों** की ओर भी प्रेरित करता है।
### **निष्कर्ष**
महाराष्ट्र के इस अनोखे शपथ ग्रहण समारोह ने न केवल राज्य में बल्कि पूरे देश में एक नई और सकारात्मक पहल की शुरुआत की है। यह परंपरा मातृ सम्मान का जीवंत उदाहरण है, जो आने वाले समय में समाज में महिलाओं के प्रति सोच को और अधिक सकारात्मक दिशा देने में मदद कर सकती है। **महायुति सरकार का यह कदम एक प्रेरक संदेश बनकर उभरा है।**