**हाई कोर्ट के निर्देश पर तीन जिलों में शिक्षकों के प्रमोशन निरस्त**
**लखनऊ* उत्तर प्रदेश के बेसिक स्कूलों में शिक्षकों के प्रमोशन लंबे समय से रुके हुए हैं, और अब हालात और गंभीर हो गए हैं। **नौ साल से प्रमोशन नहीं हुए**, और जो पहले हुए थे, वे भी **वरिष्ठता विवाद** के कारण निरस्त होने लगे हैं। हाई कोर्ट के आदेश पर हाल ही में **बुलंदशहर, सहारनपुर और सोनभद्र** जिलों में प्रमोशन रद्द कर दिए गए हैं। इस घटनाक्रम ने प्रदेशभर के शिक्षकों को चिंतित कर दिया है, जो डर रहे हैं कि कहीं इस आदेश का असर उनके जिलों में भी न पड़े।
### **बेसिक स्कूलों में प्रमोशन का हाल**
बेसिक स्कूलों में शिक्षकों के प्रमोशन का मामला काफी अर्से से लंबित है। **आखिरी बार प्रमोशन 2015 में हुए थे**, जबकि कई जिलों में पिछले **15 सालों से प्रमोशन नहीं हुए।** इस वजह से लगभग **60% स्कूल प्रभारी हेड मास्टरों के सहारे** चल रहे हैं। स्थायी हेड मास्टर न होने से स्कूल प्रशासन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, और शिक्षकों के प्रमोशन का इंतजार लगातार बढ़ता जा रहा है।
### **क्यों हुए प्रमोशन निरस्त?**
हाई कोर्ट के निर्देश पर जिन जिलों में प्रमोशन रद्द किए गए हैं, वहां विवाद **वरिष्ठता तय करने के आधार** को लेकर था। प्रमोशन के दौरान वरिष्ठता निर्धारण में **कार्यभार ग्रहण करने की तारीख** को मानक बनाया गया था, जबकि कुछ शिक्षकों का कहना था कि **वरिष्ठता नियुक्ति की तारीख** से तय होनी चाहिए।
इसके अलावा, **जूनियर हाईस्कूलों में सीधे भर्ती हुए शिक्षक** भी इस प्रक्रिया में शामिल हो गए और उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया। इस विवाद के तीन पक्ष बन गए:
1. कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से वरिष्ठता मानने वाले।
2. नियुक्ति की तारीख से वरिष्ठता तय करने की मांग करने वाले।
3. सीधे जूनियर हाईस्कूल में नियुक्त शिक्षकों का पक्ष।
कोर्ट ने निर्देश दिया कि **वरिष्ठता का निर्धारण तय नियमावली** के आधार पर किया जाए। इसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने आदेश जारी करते हुए संबंधित जिलों के बीएसए को प्रमोशन निरस्त करने के निर्देश दिए।
### **प्रमोशन रद्द होने से शिक्षकों में डर**
तीन जिलों में प्रमोशन रद्द होने के बाद **प्रदेश के अन्य जिलों के शिक्षक सहमे हुए हैं।** शिक्षकों को चिंता है कि यह आदेश अन्य जिलों पर भी लागू न हो जाए और उनकी प्रमोशन प्रक्रिया भी रुक न जाए। लंबे समय से प्रमोशन का इंतजार कर रहे शिक्षक अब खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
### **क्या है समाधान?**
यह विवाद सुलझाने के लिए जरूरी है कि बेसिक शिक्षा विभाग **वरिष्ठता निर्धारण के स्पष्ट नियम** बनाए और शिक्षकों को प्रमोशन प्रक्रिया के बारे में समयबद्ध जानकारी दे। साथ ही, **प्रमोशन में देरी को समाप्त** करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर कदम उठाए जाएं।
### **निष्कर्ष**
शिक्षकों के प्रमोशन को लेकर बढ़ते विवाद न केवल उनकी हताशा बढ़ा रहे हैं, बल्कि स्कूल प्रशासन को भी प्रभावित कर रहे हैं। प्रदेश के 60% स्कूलों में स्थायी हेड मास्टर की कमी एक बड़ी समस्या है, जिसे जल्द से जल्द सुलझाना आवश्यक है। **सरकार को इस मुद्दे को प्राथमिकता देकर प्रमोशन प्रक्रिया में पारदर्शिता और गति लाने की जरूरत है।**