उत्तर प्रदेश के हर व्यक्ति के ऊपर कर्ज हुआ 31147 रुपए ..अखिलेश सरकार की तुलना में हुआ दोगुना ।।

### **योगी सरकार के तहत उत्तर प्रदेश का सफर: विकास, कर्ज और महत्वाकांक्षाएं** 

उत्तर प्रदेश, जो जनसंख्या और आर्थिक दृष्टि से भारत के सबसे बड़े राज्यों में से एक है, पिछले दशक में उल्लेखनीय बदलावों का गवाह बना है। यह राज्य अब एक उभरते हुए आर्थिक केंद्र के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। हालांकि, इस विकास के साथ कर्ज का बढ़ता बोझ एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। इस लेख में हम **उत्तर प्रदेश की विभिन्न सरकारों, खासकर योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल** में हुए परिवर्तनों और महत्वाकांक्षाओं पर चर्चा करेंगे। 



### **कर्ज का बढ़ता बोझ: एक गंभीर चुनौती** 

योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश के कर्ज में **दोगुनी वृद्धि** देखी गई। 2016-17 में अखिलेश यादव के कार्यकाल में राज्य का कुल कर्ज **₹3.73 लाख करोड़** था, जो 2024-25 में बढ़कर **₹8.16 लाख करोड़** हो गया। इसी तरह, प्रति व्यक्ति कर्ज भी 2016-17 के **₹16,973** से बढ़कर 2024-25 में **₹31,147** हो गया। 

हालांकि यह आंकड़ा चिंताजनक है, लेकिन इसे **आर्थिक विस्तार और सार्वजनिक ढांचे में निवेश** के संदर्भ में देखना जरूरी है। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले राज्यों में विकास के दौरान कर्ज का बढ़ना सामान्य है। 



### **अन्य राज्यों से तुलना: कहां खड़ा है यूपी?** 

कर्ज के मामले में यूपी अन्य बड़े राज्यों की तुलना में अभी भी संतुलित स्थिति में है। उदाहरण के तौर पर, **गुजरात (₹5,11,166 प्रति व्यक्ति)**, **हरियाणा (₹2,28,530 प्रति व्यक्ति)** और **पंजाब (₹1,12,000 प्रति व्यक्ति)** का कर्ज यूपी की तुलना में कई गुना अधिक है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि यूपी अभी भी अपेक्षाकृत **सतर्क ऋण रणनीति** के तहत विकास कर रहा है। 



### **बजट में चार गुना वृद्धि: विकास का प्रमाण** 

उत्तर प्रदेश की प्रगति का एक और प्रमुख पहलू है इसका **बढ़ता बजट**। मायावती सरकार (2011-12) के दौरान राज्य का बजट जहां **₹1.69 लाख करोड़** था, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर **₹7.36 लाख करोड़** हो गया। **12 वर्षों में बजट में चार गुना वृद्धि** दिखाती है कि राज्य ने **इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, स्वास्थ्य और औद्योगिक प्रोत्साहनों** पर व्यापक रूप से निवेश किया है। 



### **1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य** 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को **1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था** बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। इसे हासिल करने के लिए सरकार ने कई पहल की हैं: 

1. **वैश्विक विशेषज्ञता का लाभ**: इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार ने डेलॉइट जैसी वैश्विक परामर्श संस्था को नियुक्त किया है। 
2. **निवेश आकर्षित करना**: निवेश सम्मेलनों और प्रोत्साहनों के माध्यम से **₹35 लाख करोड़** के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। 
3. **कृषि सुधार**: किसानों की आय बढ़ाने के लिए फसलों पर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और अन्य योजनाओं को लागू किया गया। 
4. **इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास**: **जेवर एयरपोर्ट**, एक्सप्रेसवे और रेलवे परियोजनाओं जैसे प्रमुख प्रोजेक्ट राज्य को जोड़ने और व्यापार को बढ़ावा देने में सहायक होंगे। 
5. **पर्यटन को बढ़ावा**: आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था को मजबूती दी जा रही है। 



### **चुनौतियां और आगे की राह** 

हालांकि उत्तर प्रदेश की विकास यात्रा प्रेरणादायक है, लेकिन **कर्ज प्रबंधन, क्षेत्रीय असमानता और मानव विकास सूचकांक सुधार** जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं। राज्य की महत्वाकांक्षाएं निवेश आकर्षित करने और रोजगार सृजन की उसकी क्षमता पर निर्भर करती हैं। 



### **निष्कर्ष: संतुलन की आवश्यकता** 

योगी सरकार के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश का विकास कई अवसर और चुनौतियां लेकर आया है। **बढ़ता बजट और लक्षित निवेश** लंबे समय में लाभकारी साबित हो सकते हैं, लेकिन **कर्ज का प्रभावी प्रबंधन** आवश्यक है। अगर राज्य अपनी मौजूदा रफ्तार बनाए रखता है, तो न केवल यह 1 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य को हासिल कर सकता है, बल्कि संतुलित विकास का एक उदाहरण भी बन सकता है। 



यह लेख उत्तर प्रदेश की आर्थिक प्रगति को संतुलित दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करता है, जो उपलब्धियों के साथ चुनौतियों को भी उजागर करता है। 

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