नही कर पाएंगे अब पूजा स्थल पर विवाद: सुप्रीम कोर्ट

# **पूजा स्थल कानून पर सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश: मुकदमेबाजी पर रोक** 

**नई दिल्ली।** सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) कानून, 1991 को लेकर मुकदमेबाजी और विवादों पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जब तक पूजा स्थल कानून की वैधानिकता पर शीर्ष अदालत में फैसला नहीं आ जाता, तब तक अदालतें **नए मुकदमे दर्ज नहीं करेंगी और लंबित मुकदमों में प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित नहीं करेंगी।** साथ ही, **धार्मिक स्थलों पर सर्वे का आदेश भी नहीं दिया जाएगा।** 



## **पूजा स्थल कानून: विवाद और सुनवाई** 
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई की। यह मामला 2020 से लंबित है, जिसमें पूजा स्थल कानून की वैधानिकता को चुनौती दी गई है। 

### **क्या है पूजा स्थल कानून, 1991?** 
– कानून के अनुसार, **किसी भी धार्मिक स्थल की स्थिति वही रहेगी, जो 15 अगस्त 1947 को थी।** 
– इस कानून का उद्देश्य धार्मिक स्थलों की स्थिति को लेकर विवादों और बदलाव की संभावनाओं को समाप्त करना है। 
– अदालतों को इस कानून के तहत धार्मिक स्थलों के विवादों की समीक्षा करने का अधिकार नहीं है। 



## **अंतरिम आदेश के मुख्य बिंदु** 
1. **मुकदमे पर रोक:** 
   – अदालतें नए मुकदमे पंजीकृत नहीं करेंगी। 
   – लंबित मुकदमों पर कोई प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश नहीं दिया जाएगा। 

2. **सर्वे पर रोक:** 
   – किसी भी धार्मिक स्थल पर सर्वे का आदेश जारी नहीं किया जाएगा। 

3. **केंद्र को जवाब दाखिल करने का निर्देश:** 
   – केंद्र सरकार को चार सप्ताह में इस मामले पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। 



## **याचिकाएं और पक्षकार** 
### **अश्विनी उपाध्याय की याचिका** 
अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कानून को असंवैधानिक बताते हुए इसे चुनौती दी है। उनका कहना है कि यह कानून न्यायिक समीक्षा की शक्ति को बाधित करता है और ऐतिहासिक अन्याय को स्थायी बना देता है। 

### **मुस्लिम पक्ष का रुख** 
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कानून को लागू करने की मांग की है। उन्होंने अदालतों द्वारा सर्वे और अन्य आदेशों पर रोक लगाने की अपील भी की है। 

### **अन्य पक्षों की प्रतिक्रियाएं** 
– मंदिर पक्ष के वकीलों ने रोक आदेश का विरोध किया। 
– सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अदालत को विचार करना चाहिए कि दो व्यक्तिगत पक्षकारों के बीच के विवाद में कोई तीसरा पक्ष सुप्रीम कोर्ट आकर रोक की मांग कर सकता है या नहीं। 



## **महत्वपूर्ण मुकदमे: ज्ञानवापी और मथुरा विवाद** 
सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से **ज्ञानवापी और मथुरा विवाद** का जिक्र किया। अदालत ने कहा कि जब पूजा स्थल कानून की वैधानिकता पर विचार शीर्ष अदालत में हो रहा है, तब अन्य अदालतों का इन मुकदमों की सुनवाई करना उचित नहीं है। 



## **अगले कदम** 
– कोर्ट ने सभी हस्तक्षेप अर्जियां स्वीकार की हैं। 
– दोनों पक्षों के लिए नोडल वकीलों की नियुक्ति की गई है। 
– सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई कर अंतिम निर्णय देगा। 



## **निष्कर्ष** 
यह आदेश धार्मिक स्थलों पर दावे और विवादों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। पूजा स्थल कानून की वैधानिकता पर अंतिम निर्णय आने तक, **यह आदेश धार्मिक स्थलों की स्थिति को स्थिर रखने में मदद करेगा और विवादों को भड़कने से रोकेगा।** 

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