# सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: NIOS डीएलएड धारकों के लिए बड़ी राहत
देशभर में शिक्षक बनने की चाहत रखने वाले **NIOS डीएलएड (18 माह) कोर्स धारकों** के लिए सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला राहत भरा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि **18 महीने का डिप्लोमा कोर्स अब सभी शिक्षक भर्तियों के लिए मान्य होगा।** इस फैसले ने बिहार सहित देश के अन्य राज्यों के लाखों अभ्यर्थियों के लिए शिक्षक बनने के रास्ते खोल दिए हैं।
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## **18 माह के डीएलएड को लेकर विवाद**
2017 में केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि **प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक NIOS से डीएलएड कोर्स** कर सकते हैं। इसके बाद बड़ी संख्या में शिक्षकों ने इस कोर्स को पूरा किया। लेकिन, इन शिक्षकों को मात्र 18 महीने में डीएलएड कराया गया, जबकि अन्य डीएलएड कोर्स की अवधि 24 महीने थी।
इस असमानता को लेकर **24 महीने के डीएलएड धारकों** ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दर्ज कराया, जिसके बाद कुछ राज्यों में 18 महीने के डीएलएड धारकों को शिक्षक भर्ती प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया।
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## **पिछला निर्णय और उसकी समीक्षा**
पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता में एक निर्णय में **NIOS डीएलएड धारकों को शिक्षक भर्ती में अयोग्य** करार दिया गया था। यह फैसला उन अभ्यर्थियों के लिए निराशाजनक था, जिन्होंने उम्मीदों के साथ डीएलएड कोर्स पूरा किया था।
हालांकि, इस निर्णय के खिलाफ **पुनर्विचार याचिका** दाखिल की गई, जिसकी फाइनल सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने फैसले को पलटते हुए 18 महीने के डीएलएड को मान्यता दे दी।
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## **फैसले का असर: बिहार सहित अन्य राज्यों में शिक्षक भर्ती**
इस फैसले के बाद **बिहार में शिक्षक भर्ती के चौथे चरण** में अब NIOS से 18 महीने का डिप्लोमा धारक अभ्यर्थी आवेदन कर सकेंगे। यह फैसला देशभर में उन लाखों अभ्यर्थियों के लिए उम्मीद लेकर आया है, जो लंबे समय से शिक्षक बनने का सपना देख रहे थे।
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## **NIOS डीएलएड की मान्यता: सुप्रीम कोर्ट का स्पष्टीकरण**
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि **18 महीने का डीएलएड कोर्स अब शिक्षक भर्ती की सभी प्रक्रियाओं में वैध** होगा। यह निर्णय उन शिक्षकों के अधिकारों को संरक्षण देता है, जिन्होंने सरकार की मंजूरी से कोर्स पूरा किया था।
### **महत्वपूर्ण बिंदु:**
1. 18 महीने का डीएलएड सभी शिक्षक भर्ती परीक्षाओं के लिए मान्य।
2. अभ्यर्थियों को सरकारी शिक्षक बनने का अवसर मिलेगा।
3. यह फैसला केवल NIOS डीएलएड धारकों तक सीमित है।
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## **शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की दिशा**
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय **शिक्षा क्षेत्र में एक सकारात्मक कदम** है। इससे न केवल योग्य अभ्यर्थियों को न्याय मिला है, बल्कि शिक्षक भर्तियों में पारदर्शिता भी सुनिश्चित हुई है।
यह फैसला यह भी बताता है कि सरकार और न्यायपालिका को शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए लगातार कार्य करना चाहिए, ताकि भविष्य में किसी भी अभ्यर्थी के अधिकारों का हनन न हो।
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NIOS डीएलएड धारकों के लिए यह फैसला उनकी मेहनत और धैर्य का सम्मान है। यह न केवल शिक्षक बनने की राह आसान करेगा, बल्कि शिक्षा क्षेत्र में नई ऊर्जा और योग्यता लाने का माध्यम बनेगा।