### **नोशनल वेतन वृद्धि में देरी: शिक्षकों के अधिकारों पर संकट**
**लखनऊ।** उत्तर प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग में **नोशनल वेतन वृद्धि** का मामला शिक्षकों के लिए गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। **सेवानिवृत्ति अधिवर्षता आयु** को लेकर कुछ जिलों में की जा रही अनावश्यक आपत्तियों के चलते यह प्रक्रिया लंबित हो गई है। इससे शिक्षकों को पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ मिलने में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं।
### **मंडलीय उप शिक्षा निदेशकों पर सवाल**
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) ने इस देरी के लिए मंडलीय उप शिक्षा निदेशकों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। संघ के वरिष्ठ शिक्षक नेता **ओम प्रकाश त्रिपाठी** ने कहा, “कई जिलों में अधिकारी सूचनाओं के नाम पर मामले को जानबूझकर लटका रहे हैं। यह अधिनियम के प्रावधानों का खुला उल्लंघन है।” उन्होंने इसे शिक्षकों के अधिकारों के खिलाफ बताते हुए सरकार से इस पर तत्काल ध्यान देने की मांग की।
### **नोशनल वेतन वृद्धि और सेवानिवृत्ति सुविधाएं**
नोशनल वेतन वृद्धि शिक्षकों की पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसका उद्देश्य शिक्षकों के सेवा काल को प्रभावी रूप से समायोजित करना है ताकि वे अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें।
– **सेवानिवृत्ति लाभों में देरी**: नोशनल वेतन वृद्धि न मिलने से शिक्षकों को पेंशन, ग्रेच्युटी, और अन्य सुविधाओं में देरी का सामना करना पड़ रहा है।
– **संविधान और अधिनियम का उल्लंघन**: यह देरी न केवल शिक्षकों के लिए आर्थिक असुरक्षा का कारण बन रही है, बल्कि यह कानूनी प्रावधानों का भी उल्लंघन है।
### **शासन से हस्तक्षेप की मांग**
शिक्षक संघ ने शासन का ध्यान आकर्षित करते हुए मांग की है कि:
1. **पहली जुलाई** को सभी योग्य शिक्षकों को नोशनल वेतन वृद्धि प्रदान की जाए।
2. शिक्षकों को उनकी पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों में तुरंत राहत दी जाए।
3. इस प्रक्रिया में देरी करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
### **शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी**
माध्यमिक शिक्षा विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शिक्षकों को उनके अधिकार समय पर मिलें।
– शिक्षकों के योगदान को सम्मान देते हुए उनकी **सेवानिवृत्ति प्रक्रिया को सुगम** बनाना आवश्यक है।
– इस प्रकार की देरी से न केवल शिक्षकों में असंतोष फैलता है, बल्कि यह शिक्षा प्रणाली की कार्यक्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।
### **संघ की चेतावनी**
शिक्षक संघ ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि यह समस्या जल्द हल नहीं हुई तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे। शिक्षकों ने सरकार और प्रशासन से **समयबद्ध कार्रवाई** की अपील की है।
**”शिक्षा विभाग को शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। नोशनल वेतन वृद्धि में देरी न केवल कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन है, बल्कि शिक्षकों के साथ अन्याय भी है।”**
### **निष्कर्ष**
नोशनल वेतन वृद्धि का मुद्दा शिक्षकों के भविष्य और उनके अधिकारों से जुड़ा है। सरकार को इस दिशा में तत्काल कदम उठाकर शिक्षकों को राहत प्रदान करनी चाहिए। यह न केवल शिक्षकों की स्थिति में सुधार करेगा, बल्कि शिक्षा के प्रति उनका समर्पण भी बनाए रखेगा।
