# **राजधानी में 174 केंद्रों पर नेशनल अचीवमेंट सर्वे (NAS) परीक्षा का आयोजन**
**लखनऊ**: सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की सीखने और पढ़ने की क्षमता का आकलन करने के लिए **केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय** द्वारा बुधवार को **नेशनल अचीवमेंट सर्वे (NAS)** परीक्षा का आयोजन किया गया। इस परीक्षा का उद्देश्य यह जानना था कि यूपी, सीबीएसई और सीआईएससीई बोर्ड के बच्चे **एनसीईआरटी** का जो पाठ्यक्रम पढ़ रहे हैं, उसमें किस हद तक सुधार की आवश्यकता है।
## **174 केंद्रों पर आयोजित परीक्षा**
यह परीक्षा राजधानी के 174 केंद्रों पर आयोजित की गई, जिसमें **कक्षा तीन, छह और पहली बार कक्षा नौ** के छात्र शामिल हुए। परीक्षा के परिणाम के आधार पर, यह तय किया जाएगा कि मौजूदा पाठ्यक्रम में क्या सुधार संभव हैं।
**बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग** के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह परीक्षा **किसी छात्र या शिक्षक का मूल्यांकन** करने के लिए नहीं थी, बल्कि इसका उद्देश्य मौजूदा पाठ्यक्रम से बच्चों के सीखने और समझने की उपलब्धियों का आकलन करना था।
## **कोर्स में सुधार की तैयारी**
इस टेस्ट के परिणाम के बाद, **कोर्स को अपडेट करने की प्रक्रिया** शुरू की जाएगी। **नई शिक्षा नीति** के तहत पाठ्यक्रम में बदलाव की योजना बनाई जाएगी। परीक्षा में विज्ञान, गणित और अंग्रेजी जैसे विषयों से संबंधित प्रश्न पूछे गए थे, जो भविष्य में **आज की जरूरतों के अनुसार अपडेट किए जाएंगे**।
### **छात्रों की प्रतिक्रिया**
परीक्षा में शामिल कक्षा नौ के छात्रों ने बताया कि गणित और विज्ञान के कुछ सवाल **कठिन** थे। **अमन चौरसिया**, **राहुल मिश्रा** और **आदित्य पांडेय** ने **अमर उजाला** से बात करते हुए कहा कि कुछ सवालों को समझने में उन्हें कठिनाई महसूस हुई, जो इस परीक्षा को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया।
## **पाठ्यक्रम में बदलाव की आवश्यकता**
यह सर्वेक्षण परिणामों के आधार पर यह आकलन किया जाएगा कि **एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम** छात्रों के लिए कितना प्रभावी है और उसमें **कितना सुधार किया जा सकता है**। परीक्षा के बाद कोर्स को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कदम उठाए जाएंगे, जिससे बच्चों की सीखने की क्षमता को और बेहतर बनाया जा सके।
### **निष्कर्ष**
**नेशनल अचीवमेंट सर्वे (NAS)** का आयोजन इस बात की ओर इशारा करता है कि **शिक्षा क्षेत्र में सुधार** के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। परिणाम के बाद, पाठ्यक्रम में बदलाव छात्रों की बेहतर **शैक्षिक उपलब्धि** सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकते हैं।
