**यूनिफाइड पेंशन स्कीम: केंद्र और राज्यों के लिए नई चुनौती**
**ब्यूरो, नई दिल्ली:**
केंद्र सरकार ने अगस्त 2024 में **नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस)** की जगह **यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस)** लागू करने की घोषणा की। इस पहल का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को बेहतर वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। यूपीएस लागू करने की दिशा में कई राज्य सरकारें भी आगे बढ़ रही हैं। महाराष्ट्र ने इसकी घोषणा कर दी है, और अन्य राज्यों से भी जल्द इसकी उम्मीद की जा रही है।
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### **यूपीएस: क्या हैं प्रमुख बदलाव?**
यूपीएस को एनपीएस और ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) के बीच का एक समग्र समाधान माना जा रहा है।
1. **राज्य सरकार का योगदान बढ़ा:**
– एनपीएस में सरकार कर्मचारियों के वेतन का 14% पेंशन फंड में देती थी।
– यूपीएस में यह बढ़कर **18.5%** हो जाएगा।
2. **कर्मचारियों का योगदान स्थिर:**
– कर्मचारियों के योगदान में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
3. **पेंशन की गारंटी:**
– यूपीएस के तहत कर्मचारी को अंतिम वेतन का **50% पेंशन** के रूप में मिलेगा।
– अगर पेंशन फंड से यह राशि पूरी नहीं हो पाई, तो सरकार को बजटीय प्रावधान से इसे पूरा करना होगा।
4. **अतिरिक्त लाभ:**
– सेवानिवृत्ति के बाद ग्रेच्युटी के साथ-साथ कर्मचारियों को एकमुश्त राशि भी प्रदान की जाएगी।
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### **राज्यों पर बढ़ेगा आर्थिक दबाव**
यूपीएस लागू करने से राज्य सरकारों के ऊपर वित्तीय दबाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
– **पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च** का कहना है कि राज्यों को यूपीएस लागू करने पर एनपीएस के मुकाबले अधिक वित्तीय बोझ उठाना होगा।
– कई राज्यों की **पेंशन, वेतन, सब्सिडी और ब्याज भुगतान** का खर्च उनके राजस्व का **80% से अधिक** हो चुका है।
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### **चुनावी रेवड़ी बनी अतिरिक्त चुनौती**
राज्य सरकारों द्वारा दी जा रही **मुफ्त योजनाओं** और सब्सिडी ने वित्तीय स्थिति और कमजोर कर दी है।
– **कर्नाटक** में चालू वित्त वर्ष में महिलाओं के खाते में सीधे **₹28,000 करोड़** दिए जा रहे हैं।
– **महाराष्ट्र** में इस मद में सालाना **₹46,000 करोड़** खर्च होने का अनुमान है।
हालांकि, सरकारें इसे मांग बढ़ाने वाला कदम मानती हैं, क्योंकि महिलाएं इन राशियों को घरेलू जरूरतों पर खर्च करती हैं।
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### **ओल्ड पेंशन स्कीम की वापसी से तुलना**
यूपीएस की घोषणा से पहले राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, और पंजाब जैसे राज्यों ने ओपीएस को फिर से लागू कर दिया था।
– **ओपीएस की वापसी से चिंताएं:**
– विशेषज्ञों ने इसे राज्यों की आर्थिक स्थिति के लिए घातक माना।
– राज्यों पर पेंशन खर्च का दीर्घकालिक बोझ बढ़ेगा।
– **यूपीएस का लाभ:**
– यूपीएस को ओपीएस के मुकाबले संतुलित और व्यावहारिक माना जा रहा है, क्योंकि यह कर्मचारियों और सरकार के बीच जिम्मेदारियों को बांटता है।
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### **क्या कह रहे विशेषज्ञ?**
यूपीएस के लागू होने से वित्तीय दबाव बढ़ने की संभावना है, लेकिन इससे कर्मचारियों को अधिक सुरक्षित भविष्य मिलेगा।
– **चुनावों के नजदीक आते ही:**
– कई राज्य सरकारें इसे कर्मचारियों को संतुष्ट करने के एक साधन के रूप में देख रही हैं।
– आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि राज्यों को इन योजनाओं के साथ अपने राजस्व बढ़ाने के विकल्प भी तलाशने होंगे।
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### **निष्कर्ष**
यूनिफाइड पेंशन स्कीम सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ा सुधार है, लेकिन यह राज्यों की आर्थिक स्थिति पर भारी पड़ सकती है। **यूपीएस लागू करना एक संतुलित कदम साबित हो सकता है, लेकिन इसके प्रभावी क्रियान्वयन और वित्तीय प्रबंधन के लिए मजबूत रणनीतियों की आवश्यकता है।** राज्यों को यह सुनिश्चित करना होगा कि पेंशन लाभ देने के साथ-साथ उनकी आर्थिक स्थिति स्थिर बनी रहे।
