**उत्तर प्रदेश के 65 हजार परिषदीय विद्यालय बनेंगे आदर्श स्कूल**
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की स्कूली शिक्षा में बदलाव की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए, अगले पांच वर्षों में 65,000 से अधिक परिषदीय विद्यालयों को आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य विद्यालयों में बच्चों को सभी आवश्यक मूलभूत और आधुनिक सुविधाओं के साथ बेहतर शैक्षिक वातावरण प्रदान करना है। यह कार्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत किया जा रहा है, जो शिक्षा के स्तर को सुधारने और उसे आधुनिक बनाने पर जोर देती है।
### **आदर्श विद्यालयों में उपलब्ध कराई जाएंगी आधुनिक सुविधाएं**
प्रदेश में कुल 1.32 लाख परिषदीय विद्यालय हैं। इनमें से आधे विद्यालयों को आवश्यक संसाधनों से सुसज्जित किया जाएगा। इन आदर्श विद्यालयों में निम्नलिखित सुविधाएं दी जाएंगी:
– पठन-पाठन के लिए पर्याप्त कमरे।
– स्मार्ट क्लास और आधुनिक लाइब्रेरी।
– छात्रों के लिए अलमारी और किचेन-कैंटीन।
– साफ शौचालय और स्वच्छ पेयजल।
– बेहतर खेल मैदान और हरित वातावरण।
### **शिक्षकों की कमी होगी पूरी**
इन विद्यालयों में यदि शिक्षकों की कमी होगी, तो उसे प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाएगा। इसके अलावा, विद्यालयों में सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा ताकि बच्चों और शिक्षकों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाया जा सके।
### **सुरक्षा और पर्यावरण पर विशेष ध्यान**
पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए इन विद्यालयों को हरा-भरा बनाया जाएगा। स्कूल परिसरों में पौधारोपण किया जाएगा और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
### **विद्यालयों का चयन और आकलन**
बेसिक शिक्षा विभाग ने निर्देश दिए हैं कि इन विद्यालयों को चिह्नित किया जाए और उनकी आवश्यकताओं का आकलन करके एक व्यापक योजना तैयार की जाए। इसके तहत विद्यालयों को संसाधनों से युक्त करने और उनकी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने पर विशेष जोर दिया जाएगा।
### **राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत कायाकल्प**
यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य शिक्षा को समावेशी और गुणवत्तापूर्ण बनाना है। आदर्श विद्यालयों का निर्माण बच्चों को न केवल बेहतर शैक्षिक माहौल देगा, बल्कि उन्हें एक उज्जवल भविष्य की ओर ले जाने में भी सहायक होगा।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने की दिशा में एक मजबूत प्रयास है, जिससे
बच्चों और शिक्षकों को समान रूप से लाभ होगा।