उत्तर प्रदेश के पंचायती राज विभाग के अधीन कार्यरत ग्रामीण सफाई कर्मियों के मासिक वेतन भुगतान (पेरोल) के संबंध में स्पष्ट निर्देश देने और पहले से जारी शासनादेशों के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित कराने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करता है।
मुख्य बिंदु:
- पंचायती राज सफाई कर्मियों का कार्यक्षेत्र:
- सफाई कर्मियों को राजस्व ग्रामों में सफाई कार्य और बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित विद्यालयों के परिसर की सफाई की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
- इसके तहत विद्यालयों के अंदर और बाहर के परिसर की सफाई और शौचालयों के रखरखाव का कार्य शामिल है।
- मासिक पेरोल स्वीकृति प्रक्रिया:
- सफाई कर्मियों की उपस्थिति का प्रमाण ग्राम प्रधान द्वारा प्रमाणित किया जाएगा।
- मासिक पेरोल स्वीकृत करने से पहले उपस्थिति प्रमाण पत्र आवश्यक है।
- प्रारंभिक शासनादेश में यह व्यवस्था थी कि प्रधानाध्यापक/इंचार्ज प्रधानाध्यापक द्वारा पेरोल पर हस्ताक्षर के बाद ही इसे स्वीकृत किया जाए।
- संशोधन और स्पष्टता:
- 27.07.2015 को जारी आदेश में प्रधानाध्यापक के हस्ताक्षर को अनिवार्य किया गया था, लेकिन बाद में इस प्रावधान को निरस्त कर दिया गया था।
- वर्तमान में, सफाई कर्मियों का मासिक पेरोल पंचायत और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की समन्वित प्रक्रिया के तहत स्वीकृत किया जाना चाहिए।
- सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करना:
- शौचालयों के अनुरक्षण और सफाई व्यवस्था के लिए खंड शिक्षा अधिकारी और सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) जिम्मेदार होंगे।
- अनुशासनहीनता या सफाई कार्य में लापरवाही पाए जाने पर संबंधित सफाई कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
अनुरोध:
पत्र में सभी संबंधित अधिकारियों से अनुरोध किया गया है कि:
- पूर्व में जारी शासनादेशों के अनुसार ही ग्रामीण सफाई कर्मियों के मासिक वेतन भुगतान की प्रक्रिया पूरी करें।
- स्कूल परिसरों और शौचालयों की सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए पंचायत और शिक्षा विभाग के बीच समन्वय स्थापित करें।
उद्देश्य:
इस पत्र का उद्देश्य ग्रामीण सफाई कर्मियों के काम और उनके वेतन भुगतान की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना, किसी भी प्रकार की देरी और विवाद से बचना, और स्कूलों व ग्राम पंचायतों में स्वच्छता सुनिश्चित करना है।
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