**शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने की प्रक्रिया तेज, वित्त विभाग को भेजी गई रिपोर्ट**
*प्रयागराज।* शिक्षामित्रों को सम्मानजनक मानदेय दिए जाने की मांग पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है। कोर्ट में दाखिल अवमानना याचिका पर राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए बताया गया कि करीब 1.5 लाख शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि का मामला अत्यधिक वित्तीय भार का कारण बन रहा है। इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर वित्त विभाग को सहमति के लिए भेजा गया है।
न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की अदालत में वाराणसी के शिक्षामित्र विवेकानंद द्वारा दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। याची के अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने जानकारी दी कि 2023 में शिक्षामित्रों ने समान कार्य के समान वेतन की मांग करते हुए याचिका दायर की थी।
### **न्यायालय का आदेश**
पिछले वर्ष कोर्ट ने कहा था कि शिक्षामित्रों को मिलने वाला मानदेय न्यूनतम है और यह उनके जीवन-यापन के लिए पर्याप्त नहीं है। न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह एक समिति का गठन कर वित्तीय सूचकांकों के आधार पर शिक्षामित्रों के लिए सम्मानजनक मानदेय निर्धारित करे।
### **अवमानना याचिका क्यों?**
न्यायालय के आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों के मानदेय में सुधार के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इस पर याची ने अवमानना याचिका दायर की। सरकार की ओर से बताया गया कि मानदेय वृद्धि की प्रक्रिया चल रही है और इसे वित्त विभाग की सहमति के लिए भेजा गया है।
### **अगली सुनवाई**
इस मामले में अगली सुनवाई 18 दिसंबर को निर्धारित की गई है। तब तक वित्त विभाग की रिपोर्ट पर कोई निर्णय आने की संभावना है।
### **शिक्षामित्रों की मांग**
शिक्षामित्र लंबे समय से समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि न्यूनतम मानदेय पर परिवार चलाना बेहद कठिन है। शिक्षामित्रों को उम्मीद है कि कोर्ट के हस्तक्षेप से उनकी स्थिति में सुधार होगा।
**संवाददाता**
