इंसान ही नहीं बेजुबान पक्षियों के लिए भी मायने रखता है सामाजिक माहौल
नई दिल्ली, एजेंसी। किसी बीमारी का संक्रमण एक से दूसरे को लग जाए, ये सुना था लेकिन तनाव और उदासी जैसी भावनाएं भी किसी एक से पूरे समूह को संक्रमित कर दे, ऐसा पहली बार सुना है। पक्षियों पर किए गए हालिया अध्ययन के अनुसार, एक उदास पक्षी से पूरे समूह की चहचहाहट धीमी पड़ जाती है या बंद हो जाती है।
कम हो जाती हैं गतिविधियां : अध्ययन के दौरान यह बात सामने आई कि एक पक्षी के उदास या तनाव में होने पर उसके आसपास रहने वाले दूसरे पक्षी तनाव मुक्त रहने के बावजूद खुश नहीं
रह पाते। उनकी गतिविधियों को देखकर पता चल जाता है। कोन्सटांज यूनिवर्सिटी के कलस्टर ऑफ एक्सीलेंस कलेक्टिव बिहेवियर के जीव विज्ञानी हांजा ब्रांड 96 ऑस्ट्रेलियाई और इंडोनेशियाई पक्षियों पर अध्ययन ऐसे किया अध्ययन अध्ययन के लिए इन्हें चार विभिन्न समूहों में रखा गया है। एक समूह में 12 मादा और नर पक्षी रखे गए। शोधकर्ताओं ने बताया कि ये पक्षी जोड़ी बनाने में अधिक समय लेते हैं। अध्ययन को तीन चरणों में पूरा किया। एक चरण चार सप्ताह का था। समूह के कुछ सदस्यों को को परेशानी में रखा गया जैसे तनाव, तेज आवाज में संगीत, इनके पिंजड़े में व्यवधान डाला गया। इन सब व्यवधानों का सामना करने वाले पक्षी तनाव में आ गए थे, शोधकर्ताओं ने हॉर्मोन का स्तर मापकर पता लगाया।
और ऑस्ट्रेलियाई नेशनल यूनिवर्सिटी की डेमियन फरिन ने इस प्रक्रिया का जिक्र किया। बताया कि समूह का एक भी पक्षी उदास होता है तो दूसरे पक्षी जिन्हें तनाव न भी हो, उदासी उनपर हावी हो जाती है। जलवायु परिवर्तन तेजी से होते शहरीकरण की वजह से पक्षियों के आवास में काफी बदलाव होने लगे हैं।
