कोर्ट का आदेश: बिना निलंबन के बीईओ (BEO) और बीएसए (BSA) वेतन रोकने का अधिकार नहीं
हाल ही में न्यायालयों ने स्पष्ट किया है कि किसी भी कर्मचारी (विशेषकर शिक्षक या अन्य शासकीय कर्मचारियों) का वेतन बिना उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाए रोका नहीं जा सकता। यह आदेश मुख्यतः इलाहाबाद हाईकोर्ट और अन्य उच्च न्यायालयों के फैसलों पर आधारित है।
कोर्ट के मुख्य निर्देश:
1. वेतन रोकने के लिए सस्पेंशन आवश्यक नहीं है:
बीईओ और बीएसए के पास यह अधिकार नहीं है कि वे किसी शिक्षक या कर्मचारी का वेतन सीधे रोक दें।
अगर कोई गंभीर अनुशासनात्मक मामला हो, तो पहले कर्मचारी को निलंबित करना होगा और जांच प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
2. कानूनी प्रक्रिया का पालन आवश्यक है:
न्यायालय ने कहा है कि कर्मचारी का वेतन रोकने के लिए लिखित नोटिस, स्पष्टीकरण और सुनवाई देना अनिवार्य है।
बीईओ और बीएसए बिना सस्पेंशन और बिना विभागीय जांच के वेतन रोकने का आदेश नहीं दे सकते।
3. वेतन रोकने का अधिकार किसके पास है?
केवल उच्च स्तर के अधिकारी (जैसे ज़िला मजिस्ट्रेट या राज्य शिक्षा विभाग के सचिव) के निर्देश पर वेतन रोका जा सकता है।
बीईओ और बीएसए को इस प्रकार के अधिकार नहीं दिए गए हैं।
हालिया कोर्ट का आदेश:
इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक मामले में शिक्षक का वेतन रोके जाने के खिलाफ दायर याचिका पर कोर्ट ने कहा:
> “बिना जांच प्रक्रिया के किसी भी कर्मचारी का वेतन रोकना नियम विरुद्ध है। बीईओ और बीएसए इस प्रकार का कार्य तब तक नहीं कर सकते जब तक कि उनके पास उच्च प्राधिकारी का आदेश न हो।”
इस आदेश का महत्व:
यह आदेश सुनिश्चित करता है कि कर्मचारी अपने वेतन के अधिकार से वंचित न हों।
यदि आपका वेतन रोका गया है, तो आप इस आदेश के आधार पर न्यायालय में अपील कर सकते हैं।
यदि आप इस संबंध में सटीक केस का विवरण चाहते हैं, तो मैं उसकी जानकारी भी प्रदान कर सकता हूं।
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