इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने नवजात बच्चों और स्तनपान कराने वाली माताओं (धात्रियों) के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के मुद्दे पर प्रदेश के लगभग दो लाख आंगनबाड़ी केंद्रों की विशेषज्ञ अध्ययन रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने मैसूर की रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला के निदेशक को आदेश दिया है कि वे इन केंद्रों में मिलने वाले पोषाहार की मात्रा और गुणवत्ता का अध्ययन करें और चार हफ्तों में रिपोर्ट पेश करें।
यह आदेश न्यायमूर्ति ए. आर. मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने शिप्रा देवी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में आपूर्ति किए जा रहे पोषाहार की गुणवत्ता और वितरण में कथित अनियमितताओं का मुद्दा उठाया गया है। याचिकाकर्ता ने नियमों के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन, पोषाहार की आपूर्ति और निगरानी की मांग की है।
वकील के अनुसार, प्रदेश में कुल 1,89,140 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें 1,78,706 कार्यकर्ता कार्यरत हैं, और 31 अक्तूबर 2024 तक इन केंद्रों से 2 करोड़ 22 लाख 33 हजार 550 लाभार्थी जुड़े हुए हैं।
