SMC (School Management Committee) या विद्यालय प्रबंध समिति भारत में बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण निकाय है। इसका गठन सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने, पारदर्शिता बढ़ाने और सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए किया गया है।
SMC की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां:
1. विद्यालय प्रबंधन और निगरानी: SMC का मुख्य कार्य विद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों, विद्यार्थियों की उपस्थिति, मिड-डे मील, तथा अन्य शैक्षणिक संसाधनों की गुणवत्ता की निगरानी करना है।
2. वार्षिक योजना निर्माण: समिति विद्यालय के विकास के लिए वार्षिक योजना बनाती है जिसमें छात्रों की ज़रूरतों और विद्यालय की आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी जाती है।
3. संसाधन प्रबंधन: SMC को विद्यालय के लिए आवंटित धनराशि के उपयोग का प्रबंधन करना होता है, जिसमें विद्यालय की मरम्मत, नए संसाधनों की खरीद, और अन्य खर्च शामिल होते हैं।
4. अभिभावक-शिक्षक सहभागिता: समिति का गठन अभिभावकों और शिक्षकों को एक मंच प्रदान करता है ताकि वे विद्यालय में सुधार के लिए मिलकर कार्य कर सकें। इससे समुदाय में जागरूकता और विद्यालय के प्रति जिम्मेदारी का भाव बढ़ता है।
5. सामुदायिक सहभागिता: SMC, समुदाय के सदस्यों और अभिभावकों को विद्यालय की गतिविधियों में शामिल कर, विद्यालय की उन्नति और बच्चों के शैक्षणिक विकास में योगदान देने का अवसर देती है।
SMC का गठन
प्रत्येक SMC में अभिभावक, शिक्षक, प्रधानाध्यापक, और पंचायत या नगर निगम के प्रतिनिधि होते हैं। अधिकतर सदस्य छात्रों के माता-पिता होते हैं ताकि बच्चों की वास्तविक जरूरतों को समझा जा सके।
SMC, बेसिक शिक्षा विभाग की योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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