🎓 अब एनआईओएस छात्रों को नहीं रोक सकेगा कोई कॉलेज — यूजीसी और एआईसीटीई का सख्त निर्देश!
देशभर के लाखों छात्रों के लिए राहत भरी खबर आई है 👏।
यूजीसी (University Grants Commission) और एआईसीटीई (All India Council for Technical Education) ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों — जिनमें इंजीनियरिंग कॉलेज भी शामिल हैं — को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे अब एनआईओएस (National Institute of Open Schooling) से 10वीं या 12वीं पास छात्रों को दाखिला देने से मना नहीं कर सकते।
🏫 क्या है पूरा मामला?
कोलकाता के एक इंजीनियरिंग संस्थान ने हाल ही में एक छात्र को केवल इस आधार पर एडमिशन देने से मना कर दिया कि उसने अपनी 12वीं एनआईओएस से पास की थी।
छात्र ने यह मामला एआईसीटीई के सामने उठाया और न्याय की गुहार लगाई।
जांच के बाद एआईसीटीई ने कॉलेज को तुरंत दाखिला देने का आदेश दिया और इसी के साथ सभी संस्थानों को एक स्पष्ट संदेश भेजा —
“एनआईओएस का प्रमाणपत्र सीबीएसई और आईसीएसई जितना ही वैध और मान्य है।”
📢 यूजीसी और एआईसीटीई का बड़ा निर्देश
दोनों संस्थाओं ने कहा है कि:
- एनआईओएस भी शिक्षा मंत्रालय से संबद्ध एक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय बोर्ड है।
- इसके सर्टिफिकेट पूरी तरह वैध और प्रमाणिक हैं।
- किसी भी छात्र को केवल इसलिए एडमिशन से वंचित नहीं किया जा सकता कि उसने ओपन स्कूलिंग से पढ़ाई की है।
- अगर कोई संस्थान ऐसा करता है, तो यह यूजीसी-एआईसीटीई दिशा-निर्देशों का उल्लंघन माना जाएगा और कार्रवाई की जाएगी।
📚 हर साल लाखों छात्र होंगे लाभान्वित
एनआईओएस से हर साल करीब 16 लाख छात्र 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास करते हैं।
इनमें से कई छात्र इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट या अन्य प्रोफेशनल कोर्सेस में दाखिला लेना चाहते हैं, लेकिन अब तक कई कॉलेज उन्हें “ओपन स्कूल” का हवाला देकर रोक देते थे।
अब यूजीसी और एआईसीटीई का यह आदेश ऐसे सभी छात्रों के लिए समान अवसर का रास्ता खोलेगा। 🌟
🧠 एनआईओएस क्यों है खास?
- यह उन छात्रों के लिए वरदान है जो नौकरी, आर्थिक कारणों या अन्य व्यक्तिगत कारणों से नियमित स्कूल नहीं जा पाते।
- इसमें लचीली पढ़ाई का मौका मिलता है — छात्र अपनी गति से विषय चुन सकते हैं और परीक्षा दे सकते हैं।
- अब जब इसकी डिग्री को पूर्ण मान्यता मिल गई है, तो यह समान शिक्षा के अधिकार की दिशा में एक बड़ा कदम है। 🇮🇳
👩🏫 सरकारी कलम की राय
सरकारी कलम हमेशा से यह मानता है कि शिक्षा का कोई एक निश्चित रास्ता नहीं होता, बल्कि हर रास्ता मंज़िल तक ले जा सकता है — बशर्ते नीयत और मेहनत सच्ची हो।
यूजीसी और एआईसीटीई का यह कदम न सिर्फ छात्रों को समान अवसर देगा, बल्कि ओपन एजुकेशन की साख को भी मजबूत करेगा।
💬 निष्कर्ष
अब कोई भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी एनआईओएस के छात्रों से भेदभाव नहीं कर सकेगी।
यह फैसला भारत में शिक्षा की समानता, अवसर और न्याय के नए अध्याय की शुरुआत है। 📘
✍️ रिपोर्ट: सरकारी कलम टीम
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