⚖️ दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: निजी स्कूलों की मुनाफाखोरी की जांच करेगा शिक्षा निदेशालय, याचिकाकर्ता की बेटी ने दी थी जान
🗞️ By: सरकारी कलम टीम | नई दिल्ली | 10 अक्टूबर 2025
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली सरकार का शिक्षा निदेशालय (DoE) निजी स्कूलों की मुनाफाखोरी और व्यावसायीकरण की जांच करने के पूर्ण रूप से अधिकृत है।
मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने शिक्षा निदेशालय को निर्देश दिया है कि वह दो निजी स्कूलों के खातों की नए सिरे से जांच करे और यह सुनिश्चित करे कि फीस का सही उपयोग छात्रों के हित में किया जा रहा है या नहीं।
📜 एकलपीठ का आदेश बरकरार
इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट की एकलपीठ ने भी शिक्षा निदेशालय को निजी स्कूलों के वित्तीय खातों की जांच करने का आदेश दिया था।
हालांकि, निजी स्कूलों ने इस आदेश को चुनौती दी थी और कहा था कि यह उनके प्रशासनिक अधिकारों का उल्लंघन है।
खंडपीठ ने इन तर्कों को सिरे से खारिज करते हुए कहा —
“नियमानुसार शिक्षा निदेशालय को निजी स्कूलों के खातों की जांच का अधिकार है। बार-बार चुनौती देकर समय की बर्बादी की जा रही है।”
🏫 फीस बढ़ोतरी से शुरू हुआ विवाद
मामला तब शुरू हुआ जब दो निजी स्कूलों ने फीस में मनमानी बढ़ोतरी कर दी थी।
छात्रों के परिजनों ने अधिवक्ता खगेश बी. झा और शिखा शर्मा बग्गा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
अभिभावकों का कहना था कि दिल्ली सरकार के आदेशों के बावजूद स्कूल फीस बढ़ाते जा रहे हैं, जिससे मध्यमवर्गीय परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है।
💔 याचिकाकर्ता की बेटी की आत्महत्या ने झकझोर दिया
इस मामले का सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि मुख्य याचिकाकर्ता की बेटी, जो कक्षा 10वीं की छात्रा थी, ने वर्ष 2024 में आत्महत्या कर ली।
स्कूल ने बढ़ी हुई फीस न देने के कारण उसका नाम विद्यालय से काट दिया था, जबकि मामला हाईकोर्ट में लंबित था।
इस घटना ने शिक्षा व्यवस्था और निजी स्कूलों के रवैये पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया।
🧾 स्कूलों की दलीलें नामंजूर
सुनवाई के दौरान स्कूलों ने कोर्ट से अनुरोध किया कि वर्ष 2018 के खातों की जांच न की जाए, क्योंकि इससे “व्यवस्था जटिल” हो जाएगी।
लेकिन अदालत ने स्पष्ट कहा —
“फिलहाल मुद्दा जांच का है, उसे होने दिया जाए। पारदर्शिता ही विश्वास की नींव है।”
⚖️ साफ संदेश – शिक्षा सेवा है, व्यवसाय नहीं
यह मामला 2017 से लंबित था, और अब खंडपीठ के निर्णय के बाद साफ हो गया है कि
निजी स्कूल शिक्षा के नाम पर मनमानी फीस वसूलकर लाभ कमाने का साधन नहीं बना सकते।
शिक्षा निदेशालय को अब इन स्कूलों के लेखा-जोखा और वित्तीय पारदर्शिता की गहन जांच करनी होगी।
🗣️ सरकारी कलम की राय
दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल छात्रों और अभिभावकों के पक्ष में ऐतिहासिक कदम है, बल्कि देशभर में निजी स्कूलों की मुनाफाखोरी पर अंकुश लगाने की दिशा में एक मिसाल भी बनेगा।
अब यह जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की है कि वह इस आदेश पर तेजी से कार्रवाई कर, शिक्षा के नाम पर चल रही वाणिज्यिक प्रवृत्तियों को खत्म करे।
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