💔 बच्चे पर गिरा स्कूल गेट — छोटी जान चली गई, पूरा गांव गमगीन

| चकिया धमौर के कंपोजिट विद्यालय में हुए दर्दनाक हादसे की पूरी रिपोर्ट 🕯️

दुखद घटनाक्रम — क्या हुआ?

बहरिया के चकिया धमौर गांव में बुधवार सुबह एक दर्दनाक घटना घटी, जिसमें सात वर्षीय बालक
ईशू की मृत्यु हो गई। सुबह लगभग साढ़े छह बजे, अपने पिता मनोज पाल के साथ शौच से लौटते समय
ईशू खेलते-खेलते विद्यालय परिसर में लगे जर्जर लोहे के गेट को पकड़ने लगा। अचानक वह गेट ढह गया और सीधे ईशू के ऊपर जा गिरा।

आसपास मौजूद ग्रामीणों और पिता की रो-रो कर पुकार की वजह से गेट के नीचे दबे ईशू को निकाला गया।
गंभीर हालत में उसे निजी अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस हादसे ने परिवार और पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया है। 😢

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घटनास्थल की स्थिति — जर्जर परमान और लापरवाही?

स्थानीय लोगों के अनुसार विद्यालय का लोहे का गेट लगभग एक साल से जर्जर हालत में पड़ा हुआ था।
बच्चे के खेलने के समय अचानक गेट का गिरना यह संकेत देता है कि स्कूल परिसरों की रखरखाव और सुरक्षा में गंभीर कमी थी।
ऐसे नाजुक उपकरणों/संरचनाओं की नियमित जांच और मरम्मत न होना अक्षम्य लापरवाही मानी जा सकती है। ⚠️

प्रशासनिक कार्रवाई — निलंबन और जांच

हादसे के बाद जिला शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर बीएसए ने प्रभारी प्रधानाध्यापक
राम आधार को निलंबित कर दिया है। वहीं डीडीओ ने विद्यालय के सचिव को निलंबित कर,
ग्राम प्रधान और सचिव के खिलाफ भी जांच के आदेश जिलाधिकारी द्वारा दिए गए हैं। 🕵️‍♂️

पुलिस ने पिता की तहरीर पर मामला दर्ज कर शव का पोस्टमॉर्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया है और जांच जारी है।
प्रशासनिक जांच में यह देखा जाएगा कि क्या समय पर मरम्मत/सुरक्षा के निर्देश दिए गए थे और किन्होंने negligence दिखाई। 🔎

परिवार की वेदना — एक पिता की चीख

पिता मनोज पाल के सामने ही बेटे का दम तोड़ देना पूरे परिवार के लिए सहन कर पाना मुश्किल है।
परिजन बेसुध हैं और बच्चे का अंतिम संस्कार गहरे शोक के साथ किया गया। ईशू सरस्वती ज्ञान मंदिर में कक्षा एक का छात्र था और वह अपनी बहन पल्लवी से बड़ा था। 🕯️

समाज और स्कूल सुरक्षा — क्या बदलना चाहिए?

यह दुखद घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि विद्यालय परिसरों की नियमित मरम्मत, सुरक्षा ऑडिट और जिम्मेदार निगरानी कितनी आवश्यक है। कुछ जरूरी सुझाव:

  • नियमित सुरक्षा निरीक्षण: नियमबद्ध अंतराल पर सभी फिजिकल उपकरणों और संरचनाओं का निरीक्षण जरूरी।
  • त्वरित मरम्मत का बजट: छोटे-छोटे दोषों को अनदेखा न करके तुरंत मरम्मत के लिए बजट उपलब्ध कराना चाहिए।
  • जिम्मेदारियां स्पष्ट हों: पंचायत, प्रधानाध्यापक और शिक्षा विभाग के बीच रखरखाव की जिम्मेदारियाँ स्पष्ट की जानी चाहिए।
  • अलर्ट सिस्टम: बच्चों के माता-पिता व अभिभावकों के लिए सुरक्षा शिकायत दर्ज करने का आसान और त्वरित तरीका उपलब्ध कराएं।

निष्कर्ष — एक अनमोल जीवन की कीमत

ईशू की अकस्मात मौत न सिर्फ एक पारिवारिक त्रासदी है बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी भी है —
निहायत साधारण शिकायतों और जर्जर संरचनाओं की अनदेखी कहीं किसी की अनमोल जान न ले ले।
प्रशासनिक कदम उठना स्वागतयोग्य है, पर वास्तविक परिवर्तन तब ही संभव होगा जब स्कूलों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी। 🙏

SARKARIKALAM