🧑‍⚖️ सीजेआई पर जूता फेंकने की कोशिश से देश स्तब्ध — नेताओं और वकीलों ने कहा ‘संविधान पर हमला’

🧑‍⚖️ सीजेआई पर जूता फेंकने की कोशिश से देश स्तब्ध — नेताओं और वकीलों ने कहा ‘संविधान पर हमला’

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ पर अदालत कक्ष में जूता फेंकने की कोशिश ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस शर्मनाक घटना की निंदा हर वर्ग से हो रही है — चाहे वह वकील बिरादरी हो या राजनीतिक दल।

सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस कृत्य को “दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय” बताते हुए कहा कि यह गलत सूचना और सस्ते प्रचार का परिणाम है। उन्होंने कहा,

“मुख्य न्यायाधीश की अदालत में हुई यह घटना निंदा के योग्य है। यह सोशल मीडिया में फैली गलत सूचनाओं की उपज है। सीजेआई की उदार प्रतिक्रिया वास्तव में प्रशंसनीय है, लेकिन इसे किसी को भी संस्था की कमजोरी नहीं समझना चाहिए।”

वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि यह केवल सीजेआई पर नहीं बल्कि पूरी न्यायिक व्यवस्था पर हमला है।

“यह पूरे संस्थान की गरिमा पर चोट है, इसकी निष्पक्ष जांच जरूरी है।”

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन ने भी इस कृत्य को “असंयमित और अपमानजनक व्यवहार” बताया और सख्त कार्रवाई की मांग की।


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🔴 राजनीतिक दलों में भी आक्रोश

सोनिया गांधी ने कहा —

“सीजेआई गवई पर हमला सिर्फ उन पर नहीं, बल्कि संविधान पर भी हमला है। इसकी निंदा के लिए शब्द भी कम हैं। देश को न्यायपालिका के साथ खड़ा होना चाहिए।”

राहुल गांधी ने ‘X’ पर लिखा —

“मुख्य न्यायाधीश पर हमला हमारी न्यायपालिका की गरिमा और संविधान की भावना पर हमला है। देश में नफरत के लिए कोई जगह नहीं।”

मल्लिकार्जुन खरगे ने घटना को “अदालत की गरिमा और कानून के शासन पर हमला” बताया और कहा कि सीजेआई की शालीन प्रतिक्रिया ने न्यायपालिका की शक्ति को दर्शाया है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी कहा —

“सीजेआई ने जिस संयम और शालीनता से जवाब दिया, वह संस्था की ताकत को दिखाता है।”


🗣️ अखिलेश यादव और अन्य नेताओं की कड़ी प्रतिक्रिया

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा —

“कुछ लोगों के हाथ में जाकर तो जूता भी अपमानित महसूस करता है। प्रभुत्ववादी सोच नफरत को जन्म देती है। यह हमला केवल सीजेआई पर नहीं, बल्कि कमजोर तबके के सम्मान पर भी प्रहार है।”

उन्होंने कहा कि “पीडीए समाज की सहनशीलता अब अपनी सीमा पर है। ऐसे असभ्य लोग अपने अहंकार के मारे हैं।”

शरद पवार ने कहा —

“यह न केवल न्यायपालिका बल्कि लोकतंत्र और संविधान का गंभीर अपमान है।”

आप सांसद संजय सिंह ने इसे “घृणा की पराकाष्ठा” बताया और कहा —

“नफरतियों का दुस्साहस देखिए, देश के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की कोशिश हुई — क्योंकि वे दलित समाज से आते हैं। यह अत्यंत शर्मनाक है।”


⚖️ देश की गरिमा बनाम नफरत की राजनीति

सुप्रीम कोर्ट कक्ष में हुई यह घटना केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि भारत की न्यायिक व्यवस्था, संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा प्रहार है।
देश के हर जिम्मेदार नागरिक, नेता और वकील ने इस कृत्य की निंदा की है और एक स्वर में कहा है —

“संविधान की मर्यादा सबसे ऊपर है, और उस पर हमला किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”


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