✊ राज्य कर्मचारियों का 18 अक्टूबर को प्रदेश भर में प्रदर्शन — लंबित मांगों पर जताई नाराज़गी
📢 क्यों हो रहा है प्रदर्शन?
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने 18 अक्टूबरलंबित मांगों पर कोई कार्रवाई न होना और सरकार की लगातार उदासीनता है।
कर्मचारियों का कहना है कि वेतन, भत्ते और बोनस जैसी बुनियादी मांगों की अनदेखी लंबे समय से की जा रही है। 😠
⚠️ कर्मचारियों की नाराज़गी का कारण
परिषद के अध्यक्ष जयन तिवारी ने कहा कि बीते 18 महीनों से मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव कार्मिक स्तर पर
कोई वार्ता नहीं हुई। कर्मचारियों की मांगों को लगातार ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
परिषद की महासचिव अरुणा शुक्ला ने बताया कि कई बार पत्र लिखने और निवेदन करने के बावजूद भी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया।
यही वजह है कि अब कर्मचारी सड़क पर उतरकर अपनी नाराज़गी जताने को मजबूर हैं। 🚨
📋 मुख्य मांगें
- वेतन का समय पर भुगतान — दशहरा और दीपावली से पहले।
- महंगाई भत्ते (DA) की किश्तों का भुगतान।
- बोनस की घोषणा और वितरण।
- लंबित मांगों पर शीघ्र समाधान।
🗓️ आंदोलन का स्वरूप
18 अक्टूबर को प्रदेश भर के जिला मुख्यालयों पर कर्मचारी एकजुट होकर प्रदर्शन करेंगे।
इसके बाद अपनी मांगों और नाराज़गी का ज्ञापन डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को सौंपेंगे।
परिषद ने सभी पदाधिकारियों और कर्मचारियों से अधिक से अधिक संख्या में प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की है। ✍️
🌐 सरकार की चुनौती
त्योहारों के ठीक पहले कर्मचारियों का यह आंदोलन सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।
यदि समय पर वेतन और भत्तों का भुगतान नहीं हुआ तो कर्मचारियों के आंदोलन से प्रशासनिक कार्य भी प्रभावित हो सकते हैं।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार क्या कदम उठाती है। ⏳
✅ निष्कर्ष
राज्य कर्मचारियों की समस्याएँ केवल उनकी नहीं बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे को प्रभावित करती हैं।
उनकी लंबित मांगों का समाधान जल्द से जल्द किया जाना आवश्यक है ताकि त्योहारों के समय संतोष और विश्वास का माहौल बना रहे। 🎉