छात्र की पिटाई का मामला: शिक्षक निलंबित, शिक्षा व्यवस्था पर फिर उठे सवाल ✍️
श्रावस्ती के मल्हीपुर थाना क्षेत्र के शिवगढ़ उच्च प्राथमिक विद्यालय में गुरुवार को छात्र की पिटाई का मामला सामने आने के बाद शिक्षा जगत में हलचल मच गई। जयनगरा निवासी मोनू पुत्र राम सहारे ने आरोप लगाया कि पढ़ाई के दौरान किसी गलती पर सहाय शिक्षक कुलदीप सिंह ने उसकी पिटाई कर दी, जिससे उसके शरीर पर चोट के निशान आ गए।
परिजनों ने घटना को गंभीर मानते हुए थाने में तहरीर दी। मामले को संज्ञान में लेते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) अजय कुमार ने संबंधित शिक्षक को तत्काल निलंबित कर दिया और क्षेत्रीय शिक्षा अधिकारी (बीईओ) को जांच के निर्देश दिए हैं।
शिक्षक समाज पर बढ़ता दबाव
यह पहली बार नहीं है जब किसी शिक्षक पर छात्र की पिटाई का आरोप लगाकर सीधे निलंबन की कार्रवाई की गई हो। अक्सर देखा जाता है कि बिना जांच-पड़ताल, शिक्षक पर तुरंत अनुशासनात्मक कार्यवाही कर दी जाती है।
👉 सवाल यह है कि क्या हर घटना में सिर्फ शिक्षक ही दोषी होता है?
अनुशासन और शिक्षा का संतुलन
गांव-देहात के स्कूलों में अनुशासन की चुनौती अलग होती है। सीमित संसाधन, कम स्टाफ और अभिभावकों की कम भागीदारी की वजह से कई बार शिक्षकों को कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है। ऐसे में मामूली विवाद भी बड़ा रूप ले लेता है और शिक्षक की वर्षों की मेहनत दांव पर लग जाती है।
शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी
जांच जरूरी है और छात्र की सुरक्षा सर्वोपरि है, इसमें कोई संदेह नहीं। लेकिन साथ ही यह भी जरूरी है कि शिक्षक की बात को भी उतनी ही गंभीरता से सुना जाए। एकतरफा कार्रवाई न सिर्फ शिक्षक की छवि धूमिल करती है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में उनका मनोबल भी तोड़ती है।
सरकारी कलम की राय 🖊️
- छात्र और शिक्षक दोनों की सुरक्षा और सम्मान जरूरी है।
- किसी भी मामले में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
- शिक्षकों को हर बार बलि का बकरा बनाने से बचना होगा।
👉 श्रावस्ती की यह घटना हमें फिर याद दिलाती है कि शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए सिर्फ निलंबन ही समाधान नहीं है। असली सुधार तभी होगा जब शिक्षक और छात्र दोनों को बराबर महत्व और सुरक्षा मिले।